रायपुर. सन 2000 में भारत के मानचित्र पर एक नया राज्य उभरा छत्तीसगढ़। प्राकृतिक संसाधनों, जल-वन और खनिज संपदा से समृद्ध यह प्रदेश शुरुआती वर्षों में केवल खनन आधारित गतिविधियों तक ही सीमित था, लेकिन 25 वर्षों की यात्रा के बाद आज जब राज्य रजत जयंती मना रहा है, तब यह कहना गर्व की बात है कि छत्तीसगढ़ ने औद्योगिक क्रांति, ऊर्जा उत्पादन, कनेक्टिविटी, रोजगार और सामाजिक समावेशन में अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की है।
आज के छत्तीसगढ़ में 58 औद्योगिक क्षेत्र, 26,000 मेगावाट ऊर्जा उत्पादन, 16,500 करोड़ रुपये का वार्षिक निवेश और 5.25 लाख संगठित रोजगार हैं। यह सफर मात्र आंकड़ों का नहीं बल्कि आत्मनिर्भरता और “विकसित भारत @2047” की ओर बढ़ते कदमों का परिचायक है।



नई औद्योगिक नीति दे रही अवसर और आत्मनिर्भरता की नई राह
छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने अपनी नई औद्योगिक नीति को ऐसा स्वरूप दिया है, जिसमें उद्योगों को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक न्याय, रोजगार सृजन और उद्यमिता विकास की दिशा तय हो रही है।नई औद्योगिक नीति के प्रमुख प्रावधानों में है प्रशिक्षण वजीफा प्रतिपूर्ति जिसमें प्रति व्यक्ति 15,000 रुपये की राशि प्रावधानित है ताकि युवाओं को प्रशिक्षण के दौरान आर्थिक बोझ न उठाना पड़े।विशेष पैकेज के तौर पर दवा, कपड़ा, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण, CBG (Compressed Bio-Gas), इलेक्ट्रॉनिक्स, AI-रोबोटिक्स और डेटा सेंटर को बढ़ावा देने का प्रावधान है।समावेशी अवसर देते हुए राज्य सरकार के द्वारा महिलाओं, अनुसूचित जाति/जनजाति और युवाओं के लिए विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है साथ ही पाँच वर्षों में 5 लाख नए औपचारिक रोजगार का लक्ष्य रखा गया है। ”छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति केवल निवेश आकर्षित करने तक सीमित नहीं है। इसमें युवाओं को प्रशिक्षित कर सीधे रोजगार में बदलने की सोच है। यही नीति आने वाले वर्षों में राज्य को ‘मैन्युफैक्चरिंग हब’ बनाएगी।”

बस्तर और सरगुजा ने किया नक्सल से नवाचार तक का सफर
कभी नक्सली हिंसा की छवि से जुड़ा बस्तर और सरगुज़ा राज्य के यशस्वी मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में आज विकास और शांति की नई इबारत लिख रहा है।विकास की मुख्य धारा से जुड़ते हुए इन क्षेत्रों में 90,000 युवाओं को कौशल प्रशिक्षण दिया जा rhaa है। 40,000 से अधिक रोज़गार के अवसर सृजित किए जा रहे हैं। विशेष निवेश प्रोत्साहन के तहत क्षेत्र में निवेशों के माध्यम से उत्थान किया जा रहा है। नक्सल प्रभावित बस्तर के दशहरा का अंतर्राष्ट्रीय पंजीकरण किया गया है। तीरथगढ़ ग्लास ब्रिज और बस्तर पर्यटन सर्किट का विकास किया जा रहा है। आदिवासी उद्यमियों के लिए रॉयल्टी प्रतिपूर्ति व सब्सिडी का प्रावधान रखा गया है। सरकार की नीतियों ने आदिवासी युवाओं के भीतर आत्मविश्वास भरा है। आज वे हथियार छोड़कर उद्यमिता और शिक्षा की राह चुन रहे हैं। यही असली क्रांति है।”
कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे की क्रांति
मजबूत कनेक्टिविटी राज्य में औद्योगिक विकास का सबसे बड़ा आधार बन रही है। ₹3,500 करोड़ में तैयार होने वाली रावघाट-जगदलपुर रेल लाइन से प्रदेश में औद्योगिक परिवहन को सुगम को सुगम बनाया जा रहा है , कोठागुडेम-किरंदुल रेल लाइन के लिए आरम्भ होने वाले सर्वेक्षण से राज्य बहुत अच्छे भविष्य के लिए आशान्वित हुआ है। औद्योगिक केंद्रों को जोड़ने वाली खरसिया-परमलकसा रेल लाइन राज्य के लिए एक समृद्ध भविष्य बुन रही है। निर्यात व व्यापार के लिए लाभकारी हवाई मालवाहक सेवा राज्य की तक़दीर बदलने वाली साबित होगी पहले परिवहन लागत सबसे बड़ी चुनौती थी। नई रेल परियोजनाएँ और एयर कार्गो सेवा उद्योगों को प्रतिस्पर्धी बनाएगी। अब छत्तीसगढ़ से दुनिया तक पहुँच आसान हो रही है।

अंजोर विजन से विकसित भारत @2047 की राह बन रही आसान
छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने एक दीर्घकालिक रणनीति “अंजोर विज़न” दस्तावेज़ के रूप में प्रस्तुत की है जिसमें इस्पात और विद्युत को मुख्य रीढ़ माना गया है। रेलवे नेटवर्क के लिए 47,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएँ बनाई गई हैं। नए राजमार्ग गलियारे (खरसिया से परमलकसा) से उत्पादन लागत में कमी आएगी और चरणबद्ध विकास रणनीति, जिसमें MSME से लेकर बड़े उद्योग तक सभी को स्थान मिलेगा। राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के दिशा निर्देश पर बने छत्तीसगढ़ का अंजोर विज़न केवल औद्योगिक खाका नहीं है बल्कि यह एक सांस्कृतिक दृष्टि भी है, जहाँ रोजगार, शिक्षा और पर्यावरणीय संतुलन एक साथ चलते हैं।”
राज्य की 25 वर्षों की उपलब्धियों का तुलनात्मक अध्ययन वर्ष 2000 में जहाँ राज्य के पास केवल 12 औद्योगिक क्षेत्र थे, वहीं 2025 में इनकी संख्या बढ़कर 58 हो गई है। ऊर्जा उत्पादन 1,360 मेगावाट से बढ़कर 26,000 मेगावाट, वार्षिक निवेश ₹1000 करोड़ से बढ़कर ₹16,500 करोड़ और संगठित रोजगार 50,000 से बढ़कर 5.25 लाख तक पहुँच गया है। ये आँकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि छत्तीसगढ़ अब केवल संसाधनों का भंडार नहीं बल्कि भारत का औद्योगिक पॉवरहाउस बन चुका है। संख्या स्वयं गवाही देती है कि 25 वर्षों में छत्तीसगढ़ ने कितनी लंबी छलांग लगाई है। यह प्रदेश अब ‘एनर्जी हब’ और ‘मैन्युफैक्चरिंग पॉवरहाउस’ के रूप में उभर रहा है।
राज्य अपनी रजत जयंती वर्ष मनाते हुए जब भी अपनी उपलब्धियों का मूल्यांकन करता है तो पाता है हर दिशा में होने वाले विकास के साथ ही साथ वर्ष 2000 से 2025 तक प्रदेश की औद्योगिक विकास से शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ मजबूत हुईं।ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में छोटे उद्योगों को बढ़ावा मिला।पर्यटन विकास से स्थानीय कारीगरों और संस्कृति को नया बाजार मिला।राज्य की साय सरकार अपनी बहुत योजनाओं से प्रदेश की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने में साफल हुई है।राज्य के मुखिया को इस बात की पूरी-पूरी जानकारी है कि जब स्थानीय महिलाएँ स्वरोज़गार में आगे बढ़ती हैं, तो पूरा समाज बदलता है। औद्योगिक नीति में महिला उद्यमियों को मिला प्रोत्साहन वास्तव में ऐतिहासिक है।”
विष्णुदेव साय का विजन और प्रधानमंत्री मोदी का मार्गदर्शन
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का स्पष्ट संदेश है:”मैं सभी उद्यमियों को छत्तीसगढ़ में निवेश करने के लिए आमंत्रित करता हूँ। यहाँ आपको हमारी विकास गाथा में भागीदार बनने के लिए आत्मविश्वास और बुनियादी ढाँचा दोनों मिलेगा। हम सब मिलकर एक विकसित भारत के निर्माण में छत्तीसगढ़ की अग्रणी भूमिका सुनिश्चित करेंगे।”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत @2047 के संकल्प से जुड़कर छत्तीसगढ़ आज एक आदर्श राज्य बन रहा है।
छत्तीसगढ़ का रजत जयंती वर्ष केवल अतीत की उपलब्धियों का उत्सव नहीं है, बल्कि आने वाले स्वर्णिम 25 वर्षों की रूपरेखा भी है। नई औद्योगिक नीति, अंजोर विज़न, बस्तर और सरगुजा का परिवर्तन, ऊर्जा और कनेक्टिविटी में निवेश, ये सभी इस बात के प्रमाण हैं कि राज्य उद्योग, रोजगार और समावेशी विकास की दिशा में भारत को अग्रणी बनाने में योगदान देगा।
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