अतीश दीपंकर/ भागलपुर। जिले के पीरपैंती प्रखंड के राजगांव पंचायत के पक्का पुल गांव में डायरिया ने तांडव मचा दिया है। महज 24 घंटे के भीतर दो नाबालिग बच्चियों की मौत हो गई, जबकि कई लोग अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया, लेकिन तब तक दो मासूमों की जान जा चुकी थी। पहली मौत रविवार को हुई जब गणेश तुरी की 14 वर्षीय बेटी भारती कुमारी ने दम तोड़ दिया। वह तीन दिन से उल्टी-दस्त से पीड़ित थी। गांव के कंपाउंडर से दवा लेने के बावजूद उसकी हालत बिगड़ती गई और अंततः उसकी मौत हो गई। अगले ही दिन मुन्ना तुरी की 12 वर्षीय बेटी निशा कुमारी ने भी वही लक्षण दिखाते हुए दम तोड़ दिया। इस दौरान भारती का छोटा भाई कपिल (9 वर्ष) भी गंभीर रूप से बीमार हो गया है और उसका इलाज चल रहा है।
दो बच्चियों की मौत हो चुकी थी
गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम तब पहुंची जब दो बच्चियों की मौत हो चुकी थी। जांच में सामने आया कि करीब आठ और लोग डायरिया की चपेट में हैं। कुछ को रेफरल अस्पताल भेजा गया, तो कई अभी भी गांव में ही इलाज करा रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि आशा कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्य विभाग ने समय रहते कोई कदम नहीं उठाया। न तो गांव में दवा वितरण हुआ और न ही हैलोजन टैबलेट दी गई।
पानी दूषित हो जाता है
गांववालों का कहना है कि बरसात के दिनों में चापाकल का पानी दूषित हो जाता है, उसका स्वाद खराब हो जाता है। बावजूद इसके जलनल योजना का पानी यहां उपलब्ध नहीं है। मजबूरी में लोग वही दूषित पानी पीने को विवश हैं। ग्रामीण कंपाउंडर ही इनके लिए डॉक्टर हैं, लेकिन उनकी लापरवाही से हालात और बिगड़ गए।
केवल कागजों तक सीमित रह गया है
सवाल उठता है कि एक हजार आबादी वाले गांव में आशा कार्यकर्ताओं का काम क्या केवल कागजों तक सीमित रह गया है? दो बच्चियों की मौत के बाद स्वास्थ्य महकमा जागा और टीम भेजी गई। सिविल सर्जन डॉ. अशोक कुमार ने भी माना कि गांव में बीमारी फैली हुई है और अस्पताल प्रभारी को खुद मौके पर जाकर इलाज सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।
स्वास्थ्य व्यवस्था की सच्चाई किसी से छिपी नहीं
यह स्थिति तब है जब दो दिन बाद नीति आयोग की टीम भागलपुर आने वाली है। वह कालाजार की रोकथाम और इलाज की समीक्षा करने पहुंचेगी। लेकिन जिस इलाके में डायरिया जैसी सामान्य बीमारी से बच्चियों की मौत हो रही है, वहां की स्वास्थ्य व्यवस्था की सच्चाई किसी से छिपी नहीं। गांववाले सवाल कर रहे हैं क्या प्रशासन मौत का इंतजार करता रहेगा या समय रहते कार्रवाई करेगा?
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