हेमंत शर्मा, इंदौर। एक ओर कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय मंच से नशामुक्ति की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, दूसरी ओर उनके ही करीबी और पार्टी के नेता नशेड़ियों को बचाने में लगे हुए हैं। इंदौर के आजाद नगर थाना क्षेत्र से ऐसा ही मामला सामने आया है।

शहर के बड़े कारोबारी को नशे में कार चलाते पकड़ा

जानकारी के मुताबिक रविवार देर रात पुलिस चेकिंग के दौरान इंदौर के बड़े व्यापारी नरेंद्र को शराब के नशे में गाड़ी चलाते पकड़ा गया। ब्रेथ एनालाइजर में जांच के लिए कहा गया तो नरेंद्र ने फूंकने से मना कर दिया और पुलिस से बहस करने लगा। इसी बीच उसने फोन घुमा कर नेताओं से बात करना शुरू कर दी। सबसे पहले इंदौर नगर अध्यक्ष और कैलाश विजयवर्गीय के करीबी सुमित मिश्रा ने पुलिस को फोन कर व्यापारी को छोड़ने का दबाव बनाया। जब पुलिस नहीं मानी तो उन्होंने थाने तक अपने लोग भेज दिए।

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हमारी सरकार में हमारी ही नहीं चलेगी

थोड़ी देर बाद विधायक महेंद्र हार्डिया का भी फोन पुलिस के पास पहुंचा और उन्होंने भी कार्रवाई रोकने की कोशिश की। लेकिन पुलिस ने नेताओं का दबाव न मानते हुए व्यापारी की गाड़ी जब्त कर चालानी कार्रवाई की। इस घटना के बाद नगर अध्यक्ष और विधायक दोनों ही पुलिस से नाराज बताए जा रहे हैं। अब बड़ा सवाल यह है कि जब मंत्री विजयवर्गीय मंच से कहते हैं कि नशा बेचने और पीने वालों पर कड़ी कार्रवाई हो, तो क्या उनके ही चेले पुलिस पर दबाव बनाकर नशेड़ियों को बचाएंगे? क्या सचमुच “हमारी सरकार में हमारी ही नहीं चलेगी” वाली सोच नेताओं की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा नहीं करती?

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