हकिमुददीन नासिर, महासमुंद। गणेश उत्सव इस वर्ष 27 अगस्त से शुरू होगा. गणेश उत्सव पर प्रतिमा स्थापित करने का सिलसिला दुर्गा पूजा से होते हुए विश्वकर्मा जयंती तक जाएगा. इसके लिए मूर्तिकार और उनका परिवार सालभर से तैयारी करता है, और सालभर उनका गुजर-बसर होता है.
यह भी पढ़ें : Sai Cabinet के नए मंत्रियों के लिए चमचमाती सफेद फॉर्च्यूनर तैयार! BJP प्रदेशाध्यक्ष किरण सिंह देव बोले- कल कुछ बड़ा होगा
महासमुंद जिले के कुम्हारपारा निवासी मूर्तिकार रिंकू प्रजापति बताते हैं कि उनका पूरा परिवार साल भर मूर्तियाँ बनाता है, और जो उससे आमदनी होता है उसी से उनके परिवार का साल भर भरण पोषण होता है. ये लोग साल भर गणेश जी, दुर्गा जी, लक्ष्मी जी, विश्वकर्मा जी, शंकर जी भगवान की प्रतिमाएं बनाते हैं.

मूर्तिकार बताते हैं कि अब इको फ्रेण्डली मूर्तियों का समय है, जिसके निर्माण में मिट्टी, पैराकूटी और लकड़ी का इस्तेमाल करते हैं. इससे पर्व खत्म होने के बाद मूर्ति को घर के बाड़ी, गमले में भी विसर्जित किया जा सकता है, और उस मिट्टी में पौधा, फल, सब्जी आदि लगा सकते हैं.
रिंकू प्रजापति बताते हैं कि इस वर्ष 1100 छोटी-बड़ी गणेश जी की प्रतिमा बना रहे हैं, जिसका 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. इस वर्ष 6 इंच से लेकर 10 फुट तक की गणेश जी की प्रतिमा बना रहे हैं. जिसकी कीमत 200 रुपये से शुरू होकर 45 हजार रुपए तक है. इनकी बनाई मूर्तियां अभनपुर, बिलासपुर, कोरबा, रायपुर, भिलाई, खरियार रोड़ – ओडिशा तक बिकने के लिए जाती है.

मूर्तिकार का कहना है कि साल भर में तीन, साढ़े तीन लाख की मूर्तियाँ अलग-अलग भगवान की बनाकर बेचते हैं, जिसमें इन्हें 30 प्रतिशत लागत आती है, बाकी इनकी मेहनत होती है. वहीं इनकी मूर्तियाँ लेने आये व्यापारी का कहना है कि इनके द्वारा बनाई गई मूर्तियाँ अच्छी होती है, जिसका दाम अच्छा मिल जाता है. गौरतलब है कि मूर्तिकार व व्यापारी दोनों को इस वर्ष अच्छा बाजार रहने की उम्मीद है.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें