लखनऊ. प्रदेश के विभिन्न जनपदों में सांस्कृतिक, धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों पर सप्ताह में एक दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए जाने का निर्णय लिया गया है. ये सांस्कृतिक कार्यक्रम अगस्त 2025 से शुरू होकर 31 मार्च, 2026 तक कराए जाएंगे. यह कार्यक्रम लोक कलाकारों के आर्थिक स्थिति मजबूत करने और रोजी-रोटी के लिए प्रस्तावित किया गया है. इसके लिए प्रति स्थल प्रतिदिन कलाकार का मानदेय 40 हजार रुपए और कार्यक्रम की अन्य व्यवस्थाओं के लिए 8 हजार रुपए दिए जाएंगे, इस प्रकार प्रति स्थल 48000 रुपए व्यय अनुमानित है.
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पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि प्रत्येक स्थल पर लगभग 15 दिन तक कार्यक्रम कराया जाएगा. इस प्रकार 21 स्थलों पर कार्यक्रम कराए जाने पर लगभग 352.80 लाख रुपए (तीन करोड़ बावन लाख अस्सी हजार) का व्यय अनुमानित है. उन्होंने बताया कि सांस्कृतिक, धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों पर कार्यक्रम कराये जाने से श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों का बड़ी संख्या में आगमन होगा, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार और राज्य सरकार को राजस्व भी प्राप्त होगा.
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मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि इन कार्यक्रमों के आयोजन के लिए स्थल चिन्हित कर दिए गए हैं, जिसमें कुसुमवन सरोवन मथुरा, झांसी का किला, रामघाट चित्रकूट, सुबह-ए-बनारस वाराणसी, त्रिवेणी घाट प्रयागराज, कुड़िया घाट, लोहिया पार्क, रायउमानाथ बली, जनेश्वर मिश्र पार्क लखनऊ, शुक्रतीर्थ मुजफ्फरनगर, रामगढ़ ताल गोरखपुर, राम की पैड़ी अयोध्या, समौर बाबा धाम फिरोजाबाद, सीता समाहित स्थल भदोही, बटेश्वर धाम आगरा, परमेश्वरी धाम आजमगढ़, विन्ध्यवासिनी देवी मंदिर विन्ध्याचल, प्रेम मंदिर वृन्दावन, नैमिषारण्य धाम सीतापुर, देवीपाटन मंदिर बलरामपुर, गढ़मुक्तेश्वर हापुड़, शाकुंभरी देवी सहारनपुर तथा शीतलाधाम मंदिर मैनपुरी शामिल है.
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मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन से विलुप्त होती जा रही गीत संगीत एवं लोक संगीत को संरक्षित करने का भी कार्य होगा और लोक कलाकारों को आर्थिक लाभ भी प्राप्त होगा. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार खासतौर से संस्कृति विभाग लोक कलाओं के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए प्रतिबद्ध है. इन कलाओं को सुरक्षित रखते हुए नई पीढ़ी तक पहुंचाने का भी उद्देश्य पूरा होगा. साथ ही सांस्कृतिक, धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ेगा.
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