गंभीर आपराधिक आरोपों में फंसे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को हटाने संबंधी विधेयक पर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि “दो बार, उनके (भाजपा) कुकर्मों के कारण, भारत की जनता ने उन्हें अल्पमत में ला दिया. कई जगहों पर उनकी सरकार नहीं बनी. बहुमत वापस लाने के लिए, यह काला कानून लाया जा रहा है. यह लोकतंत्र विरोधी कानून है. हम इस काले कानून को भारत का कानून नहीं बनने देंगे.
बता दें कि मोदी सरकार (Modi Government) गंभीर आपराधिक केस में गिरफ्तार होने या हिरासत में लिए जाने पर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री या मंत्री को पद से हटाने का कानून बनाने जा रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बुधवार को इसके लिए संसद में तीन बिल पेश किया. लोकसभा में बुधवार को 130वां संविधान संशोधन बिल पेश किया गया. इस बिल को राजनीति में अपराध को रोकने की दिशा में सरकार का यह एक बड़ा कदम है. इसका उद्देश्य प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार या हिरासत में लिया जाता है तो उन्हें उनके पद से हटाया जा सके.
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130वां संविधान संशोधन बिल 2025
संविधान (एक सौ तीसवां संशोधन) विधेयक, 2025 के उद्देश्यों में कहा गया है कि संविधान में भी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि किसी मंत्री को गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तारी और हिरासत की स्थिति में हटाया जा सके. इसलिए संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन कर प्रधानमंत्री या केंद्रीय मंत्री, राज्यों और दिल्ली के मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का प्रावधान करने की ज़रूरत है. वहीं, नए प्रावधानों के तहत यदि कोई मंत्री, जिसमें प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या राज्यों को मंत्री शामिल हैं को पांच साल या उससे ज्यादा की अवधि की सजा वाले अपराध के लिए लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रखा जाता है तो उसे पद से हटाया जा सकता है.
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