जगदलपुर. सरकार ने जब 2 फीसदी महंगाई भत्ते की घोषणा की तो उम्मीद थी कि कर्मचारी राहत की सांस लेंगे, लेकिन ये घोषणा राहत नहीं, निराशा लेकर आई। कर्मचारियों ने इसे भ्रामक और अपमानजनक करार दिया है। ‘कलम रखो, मशाल उठाओ’ आंदोलन के तहत कार्य बहिष्कार जारी है। हर विभाग, हर ब्लॉक में अब आवाज उठ रही है कि हमें पूरा हक चाहिए।
आंदोलन का दूसरा चरण शुरू हो चुका है और समर्थन बढ़ता जा रहा है। सरकार की खामोशी कर्मचारियों में आक्रोश और बढ़ा रही है। अब सवाल ये है कि क्या सरकार सुध लेगी या संघर्ष और तेज होगा? ये सिर्फ पैसे की लड़ाई नहीं, सम्मान की मांग बन चुकी है।
अवैध नल कनेक्शन टपकती बूंदों में बह रही व्यवस्था
जगदलपुर. शहर के कई मोहल्लों में अवैध नल पानी की लाइन से जुड़ चुके हैं। ये कनेक्शन सिर्फ जल की चोरी नहीं, प्रशासन की चुप्पी का प्रमाण है। शिकायतें होती रही लेकिन कार्रवाई न के बराबर हुई। जहां लोग बूंद-बूंद के लिए परेशान हैं, वहीं यहां जल की बर्बादी हो रही है। यह लापरवाही जल संकट को और गहरा कर रही है। जलदाय विभाग सिर्फ फाइलों में सक्रिय दिख रहा है। किसी पर जुर्माना नहीं, किसी कनेक्शन को काटा नहीं गया। क्या विभाग किसी बड़ी समस्या का इंतजार कर रहा है? टंकियों में सूखा और पाइपों में रिसाव यह तस्वीर डरावनी है। समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो हालात संभालना मुश्किल होगा।

राशन घोटाला गरीबों के हिस्से का निवाला छिनता रहा
जगदलुपर. राशन दुकानों में गड़बड़ियों की शिकायतें अब खुले तौर पर सामने आई है। उपभोक्ताओं से अधिक राशि वसूली गई, घटतौली की गई। प्रशासन ने जांच की तो दुकानदारों की मनमानी सामने आई। एसडीएम ने नोटिस भेज दिए हैं, तीन दिन में जवाब मांगा गया है, लेकिन समय बीतने को है और दुकानदारों ने चुप्पी साध रखी है। अगर जवाब नहीं आया तो कड़ी कार्रवाई तय मानी जा रही है। ये मामला सिर्फ गड़बड़ी का नहीं, गरीब के हक पर डाका डालने का है। सरकार की योजनाएं तभी सफल होंगी जब ज़मीन पर ईमानदारी हो। अब जरूरत है मिसाल कायम करने की ताकि कोई फिर से गलती न दोहराए। आवश्यक है कि दोषियों को सजा मिले और व्यवस्था पर भरोसा लौटे।
दलपत सागर की दुर्दशा – सौंदर्य नहीं, सफाई चाहिए
जगदलपुर. दलपत सागर, जो कभी शहर की शान था, अब गंदगी से जूझ रहा है। जलकुंभी और गाद ने इस ऐतिहासिक जलस्रोत को लगभग निगल लिया है। सिर्फ ऊपर-ऊपर सजावट से तस्वीरें तो सुंदर बनती हैं, लेकिन समाधान नहीं मिलता। विशेषज्ञों ने कहा है कि तालाब की पूरी गाद हटाना जरूरी है। हर साल सिर्फ सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों खर्च होते हैं, लेकिन जमीनी काम न होने के कारण स्थिति जस की तस है। यदि अब भी गंभीरता नहीं दिखाई गई तो ये जलस्रोत खत्म हो सकता है। जनता अब रिपोर्ट नहीं, परिणाम चाहती है। प्रशासन ने मौका मुआयना किया है, अब काम धरातल पर दिखना चाहिए। तालाब को बचाना है तो बातों से नहीं, मेहनत से होगा।
खराब सड़कें गड्ढों में गुम विकास की तस्वीर
जगदलपुर. कंगोली से परपा मार्ग अब सड़क नहीं, गड्ढों का सिलसिला बन गया है। बरसात में यह रास्ता किसी दलदल से कम नहीं लगता। गड्ढों के कारण वाहनों की आवाजाही ठप हो गई है। लोगों को रोज़ाना मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह निर्माण गुणवत्ता विहीन था। बारिश ने पोल खोल दी और जिम्मेदारों की लापरवाही सामने आ गई। अभी तक कोई ठोस मरम्मत कार्य शुरू नहीं हुआ है। जनता कह रही है यदि सात दिन में सुधार नहीं हुआ तो चक्काजाम होगा। प्रशासन और ठेकेदारों की मिलीभगत पर सवाल उठ रहे हैं। विकास के दावों की हकीकत इन सड़कों पर साफ दिख रही है। अब देखना ये है कि मरम्मत होती है या आंदोलन का बिगुल बजता है।
लाल पानी की मार, अबूझमाड़ के लोग बेहाल
नारायणपुर. अबूझमाड़ के इलाकों में नलों से लाल रंग का पानी निकल रहा है। लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिल रहा। यह स्वास्थ्य पर बड़ा खतरा है। लंबे समय से शिकायतों के बावजूद कोई समाधान नहीं हुआ। बीएसपी प्रबंधन ने मामले से पल्ला झाड़ लिया है। मांइस से आयरन युक्त पानी की आपूर्ति बताई जा रही है। लोग बीमार हो रहे हैं लेकिन मेडिकल कैंप तक नहीं लगाए गए। हर दिन स्थिति बिगड़ रही है, लेकिन प्रशासन की चुप्पी बरकरार है। पानी जीवन है लेकिन यहां जीवन को ही खतरा बन गया है। अब जरूरत है युद्धस्तर पर शुद्ध जल आपूर्ति की। वरना ये संकट एक बड़े जनस्वास्थ्य आपदा में बदल सकता है।
48 साल से अटका पन बिजली प्रोजेक्ट, विकास का इंतजार
जगदलपुर. एक ऐसी परियोजना जो अगर पूरी हो जाए तो पूरे क्षेत्र को रोशन कर सकती है, लेकिन अफसोस कि 48 साल बीतने के बाद भी ये योजना अधूरी है। पन विद्युत परियोजना के लिए सारी तकनीकी मंजूरी मिल चुकी है। फिर भी न फंड रिलीज हुआ, न निर्माण तेज हो पाया। हर बरसात में संभावित जल व्यर्थ बहता है यह एक बड़ी चूक है। कभी 500 मेगावाट की बात होती थी, अब नाम तक नहीं लिया जाता। स्थानीय जनप्रतिनिधि भी केवल बयानबाजी में व्यस्त हैं। यह सिर्फ ऊर्जा का मामला नहीं, रोजगार और विकास का भी सवाल है। जरूरी है कि केंद्र और राज्य मिलकर इसे प्राथमिकता दें। नहीं तो ये योजना फाइलों में दम तोड़ देगी और जनता उम्मीदें।
स्कूलों में शुरू हुई अनोखी पहल, समाचार वाचन से शुरू हो रही पढ़ाई
जगदलपुर. अब बच्चों की पढ़ाई की शुरुआत ख़बरों के साथ होती है। स्कूलों में हर सुबह अखबार से वाचन कार्यक्रम शुरू किया गया है। इससे बच्चों में न केवल जनरल नॉलेज बढ़ेगा, बल्कि पढ़ने की आदत भी बनेगी। अध्यापक बच्चों को बारी-बारी से समाचार पढ़ने का मौका दे रहे हैं। यह पहल आत्मविश्वास, बोलने की कला और सोचने की क्षमता को बढ़ा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में यह कार्यक्रम विशेष रूप से सफल हो रहा है। बच्चे अब देश-दुनिया से जुड़ाव महसूस कर रहे हैं। साथ ही, स्कूलों की उपस्थिति में भी सुधार दिख रहा है। समाचार वाचन सिर्फ एक अभ्यास नहीं, शिक्षा का नया रास्ता है। यह पहल बाकी जिलों के लिए भी प्रेरणा बन सकती है।
पोला पर्व की धूम – मिट्टी के खिलौनों से सजा बाजार
जगदलपुर. गांव-शहरों में पोला पर्व की तैयारियां ज़ोरों पर हैं। बाजारों में मिट्टी के बैल, ढोल और रंग-बिरंगे खिलौनों की रौनक दिख रही है। 23 अगस्त को पर्व मनाया जाएगा किसानों का यह त्योहार अनूठा है। मिट्टी के खिलौनों के कारीगर अब नए जोश के साथ जुटे हैं। ग्रामीण अंचलों से लेकर शहरी दुकानों तक खरीदारों की भीड़ लग रही है। बच्चों में खास उत्साह है – पारंपरिक उत्सवों से जुड़ाव बना है। इस बार स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दी जा रही है। पर्यावरण के प्रति जागरूकता के साथ मिट्टी के खिलौनों की मांग बढ़ी है। यह पर्व सिर्फ परंपरा नहीं, मिट्टी से जुड़े जीवन का उत्सव है।
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