बिलासपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के 551 रेल इंजनों में क्रमिक रूप से कवच प्रणाली स्थापित करने का काम शुरू कर दिया गया है. इसकी शुरुआत गुरुवार को भिलाई में स्थित इलेक्ट्रिक लोको शेड में एक इंजन को कवच प्रणाली से लैस करके की गई.

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रेल यातायात में संरक्षा और गति क्षमता को सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारतीय रेलवे द्वारा विकसित स्वदेशी ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम ‘कवच’ का कार्य दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में प्रारंभ किया गया है. इस प्रणाली का उद्देश्य ट्रेनों के बीच टक्कर को रोकना तथा लोको पायलट को केबिन में ही वास्तविक समय (रियल टाइम) सिग्नल संबंधी जानकारी उपलब्ध कराना है.

यह प्रणाली स्टेशन इंटरलॉकिंग और लोकोमोटिव के बीच संचार नेटवर्क के माध्यम से सिग्नल डेटा का आदान- प्रदान करती है. साथ ही पटरियों पर लगाए गए आरएफआईडी टैग लोकोमोटिव की सटीक स्थिति निर्धारित करने में सहायक होती है.

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत नागपुर-झारसुगुड़ा रेलखंड में कवच प्रणाली स्थापित करने का कार्य शुरू किया गया है. उसी के तहत इस रेल इंजन में कवच लगाया गया है. इस अवसर पर प्रधान मुख्य विद्युत इंजीनियर, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे तथा मंडल रेल प्रबंधक रायपुर की उपस्थिति रही. शेष लोकोमोटिवों में भी कवच प्रणाली का कार्य चरणबद्ध किया जाएगा.

कवच प्रणाली की विशेषताएं एवं लाभ

यह भारतीय रेलवे की एक उन्नत स्वदेशी संरक्षा तकनीक है. जो ट्रेन संचालन को संरक्षित कुशल बनाने के लिए डिजाइन की गई है. इस ऑटोमैटिक तकनीक के जरिए अब दो ट्रेनों के बीच आमने-सामने की टक्कर से बचाव सुनिश्चित होगा. यह प्रणाली सिग्नल एवं स्पीड से संबंधित दुर्घटनाओं को रोकने में पूर्णतः सक्षम है. पूरे सेक्शन में विश्वसनीय वायरलेस कम्युनिकेशन स्थापित किया जाता है. जिससे स्टेशन इंटरलॉकिंग सिस्टम, सिग्नल तथा समपार फाटकों की जानकारी सीधे लोको पायलट को मिलती है.