सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने आवारा कुत्तों (Stray dogs)को लेकर अपने पुराने आदेश में बदलाव करते हुए शुक्रवार (22 अगस्त) को नया निर्देश जारी किया। अदालत ने कहा कि कुत्तों को स्टरलाइज और वैक्सिनेट (नसबंदी और टीकाकरण) कर वापस छोड़ा जाए। साथ ही हर इलाके में तय फीडिंग एरिया बनाया जाए, ताकि कुत्तों को कहीं भी खाना न खिलाया जाए। बीजेपी नेता और पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी (Maneka Gandhi)ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, “मैं इस फैसले से बहुत खुश हूं। कुत्तों के काटने का कारण केवल विस्थापन और डर है। रेबीज़ से संक्रमित कुत्तों को छोड़ने का कोई सवाल ही नहीं है।”

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आक्रामक कुत्ता किसे कहा जाएगा?- मेनका गांधी

पशु अधिकार कार्यकर्ता और बीजेपी सांसद मेनका गांधी ने फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा, “अदालत ने यह परिभाषित नहीं किया है कि आक्रामक कुत्ता किसे कहा जाएगा, इसे तय करना जरूरी है। निर्धारित फीडिंग एरिया बनाने का आदेश बिल्कुल सही है और निगमों को इसके लिए साइनबोर्ड भी लगाने होंगे।” अदालत के अनुसार, नगर निगमों को उचित एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) केंद्र स्थापित करने होंगे। केंद्र सरकार ने भी संसद में कहा है कि इस कार्यक्रम के लिए 2,500 करोड़ रुपये आवंटित किए जा रहे हैं। यह पहली बार है जब इतने बड़े पैमाने पर बजट का प्रावधान किया गया है।

2 लाख तक के जुर्माने पर क्या बोलीं मेनका गांधी

बीजेपी सांसद और पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि अदालत ने साफ कर दिया है कि “अग्रेसिव कुत्ते” की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है और इस पर आगे कमेटी फैसला लेगी। मेनका गांधी ने उदाहरण देते हुए कहा, “कभी-कभी ऐसा होता है कि कोई व्यक्ति कुत्ते पर गिर जाए और कुत्ता काट ले, जबकि उससे पहले उसने कभी किसी को नुकसान न पहुँचाया हो। क्या ऐसे में उसे अग्रेसिव कहा जाएगा? यही तय करने की जरूरत है।” उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी ऐसे मामलों को अपने पास रखने का फैसला किया है। साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया है कि यदि कोई संस्था इस मामले में शामिल होती है तो उसे 25 हज़ार रुपये का भुगतान करना होगा, जबकि किसी व्यक्तिगत स्तर पर शामिल होने वाले व्यक्ति को 2 लाख रुपये देने होंगे। मेनका गांधी ने कहा कि यह फैसला पशु अधिकारों और न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण है और इससे आगे की स्थिति स्पष्ट होगी।

वहीं उनके बेटे और पूर्व सांसद वरुण गांधी ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को सराहा। उन्होंने कहा, “आज हमें सुप्रीम कोर्ट के प्रति गहरी कृतज्ञता प्रकट करनी चाहिए। अपनी आत्म-सुधार की क्षमता दिखाकर उसने दूरदर्शिता, संवेदनशीलता और सच्ची उदारता का परिचय दिया है। हर जीव आशीर्वाद देने में सक्षम है। उन सभी लोगों के लिए जिन्होंने बे जुबान के लिए अपनी आवाज उठाई, खुद को गले लगाइए। आप अद्भुत हैं।”

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क्या है एबीसी नियम

बीजेपी सांसद मेनका गांधी ने कहा कि देश में इस विषय पर पहले से ही एक नेशनल पॉलिसी मौजूद है और समय के साथ उसमें सुधार भी किया गया है। उन्होंने कहा कि संसद में भी मंत्री ने इसी पॉलिसी का जिक्र किया था। अब देखना यह होगा कि आने वाले 8 हफ्तों में इसमें और क्या बदलाव या नए प्रावधान जोड़े जाते हैं। मेनका गांधी ने एबीसी (Animal Birth Control) कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इसका मतलब दरअसल स्टरलाइजेशन है। उन्होंने कहा कि केवल उन्हीं कुत्तों को पकड़ा जा सकता है, जो अभी तक स्टरलाइज नहीं हुए हैं। इसके लिए बने सेंटरों की हालत बेहतर करनी होगी, क्योंकि ज्यादातर बहुत गंदे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब किसी कुत्ते को स्टरलाइज किया जाता है तो उसे उसकी पुरानी जगह पर वापस छोड़ना अनिवार्य है, न कि कहीं और ले जाकर छोड़ देना। मेनका गांधी ने जोर देकर कहा कि पॉलिसी का सही पालन और सुधार ही इस समस्या का स्थायी समाधान है।

राहुल गांधी ने बताया करुणामय और वैज्ञानिक तर्क पर आधारित फैसला

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने एक्स (X) पर लिखा- “मैं आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के संशोधित निर्देशों का स्वागत करता हूँ, क्योंकि यह पशु कल्याण और जन सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक प्रगतिशील कदम है। यह दृष्टिकोण न केवल करुणामय है, बल्कि वैज्ञानिक तर्क पर आधारित भी है।”

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सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा गलत फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सही कर दिया है

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानवीय मूल्यों के अनुरूप बताया। प्रियंका ने कहा, “पिछला आदेश न केवल अमानवीय था बल्कि मानवीय मूल्यों के खिलाफ भी था। यह कोई डॉग लवर वर्सेस ह्यूमन लाइफ का मामला नहीं है। देश की नगर पालिकाएं अपनी जिम्मेदारी से बचती रही हैं, लेकिन अब सर्वोच्च अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि आवारा कुत्तों का पालन-पोषण, टीकाकरण और उनके लिए निर्धारित भोजन स्थल होना चाहिए। पहले का गलत फैसला अब सही कर दिया गया है।”

पीसी शर्मा वरिष्ठ कांग्रेस नेता, मध्य प्रदेश ने कहा:

पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने फैसले का स्वागत तो किया, लेकिन चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा, “हिंसक कुत्तों को छोड़ेंगे तो समस्या खड़ी हो सकती है। केवल भोपाल में ही एक साल में 5,000 डॉग बाइट के मामले आए हैं। कई लोगों की जान जाती है और अस्पतालों में इंजेक्शन तक नहीं मिलते। नगर निगम और नगर पालिकाओं को सही योजनाएँ लागू करनी होंगी ताकि कुत्तों के काटने की घटनाएँ कम हो सकें।”

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कुछ कहा

दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए डॉग लवर्स को बड़ी राहत दी है। अदालत ने आदेश दिया है कि पकड़े गए आवारा कुत्तों को टीकाकरण (Vaccination) के बाद वापस उसी इलाके में छोड़ा जाए, जहां से उन्हें पकड़ा गया था। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने सुनाया है। बेंच में जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया शामिल थे। अदालत ने अपने पहले दिए आदेश में संशोधन करते हुए यह फैसला सुनाया और कहा कि यह कदम डॉग लवर्स और पशु अधिकारों के हित में है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान कुछ सख्त निर्देश भी दिए हैं। अदालत ने कहा है कि सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाना प्रतिबंधित रहेगा। ऐसा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।कुत्तों के भोजन के लिए अलग से निर्धारित स्थान बनाए जाएंगे। इस फैसले को डॉग लवर्स ने बड़ी जीत के रूप में देखा है। वहीं, कोर्ट ने साफ किया कि इस नीति का पालन सख्ती से किया जाएगा, ताकि इंसानों और जानवरों के बीच संतुलन कायम रहे।