हेमंत शर्मा, इंदौर। शहर के A.V.P. हॉस्पिटल में बड़ा मामला सामने आया है। मरीज के परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधन ने सीएम रिलीफ फंड की राशि की दलाली नहीं देने पर मरीज को डिस्चार्ज बताने की कोशिश की, जबकि मरीज अभी भी अस्पताल में भर्ती था। परिजनों की शिकायत पर सीएमएचओ देर रात करीब 11 बजे अस्पताल पहुंचे और हालात का जायजा लिया। इसके बाद अगले ही दिन दोपहर करीब 12:30 बजे अस्पताल प्रबंधन और मरीज के परिजन दोनों को आमने-सामने बैठाकर उनके बयान लिए गए।
महज 25 घंटे के अंदर ही पूरा मामला निपटा दिया गया। यहीं से सवाल खड़े होने लगे हैं। आखिर गंभीर आरोपों और मरीज की सुरक्षा जैसे मुद्दे को इतनी जल्दी कैसे निपटा दिया गया? क्या स्वास्थ्य विभाग पर भी लेनदेन के खेल का असर है?

फिलहाल मरीज अस्पताल में भर्ती है, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम ने स्वास्थ्य विभाग की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही और पैसों के खेल पर कार्रवाई करने की बजाय विभाग ने मामले को रफा-दफा कर दिया।

Lalluram.com के पास जो वीडियो आया है उसमें सीएमएचओ खुद अस्पताल प्रबंधन से यह कहते हुए नजर आ रहे हैं ‘एडवाइस डिस्चार्ज और डिस्चार्ज होना और सीएम हाउस तक यह मैसेज जाना कि पेशेंट डिस्चार्ज हो गया है, दोनों में अंतर है। वह भी एमएलसी अगर नॉन एमएलसी होता तो मैं ज्यादा तमाशा भी नहीं करता।’ सीएमएचओ ने यहां तक कहा है कि जो इल्जाम आप पर लगाए जा रहे हैं वह यहां पर प्रूफ हो रहे हैं। इसके बाद मामला रफा दफा हो जाता है।
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