विक्रम मिश्र, लखनऊ. पूरा शहर आवारा कुत्तों से परेशान है. लोगों का आरोप भी है कि नगर निगम किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. लेकिन नगर निगम लखनऊ द्वारा दिए गए आंकड़े में बताया गया कि बीते 6 साल में 95 हजार से ज्यादा कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है. लेकिन हैरत इस बात ये है कि नसबंदी के बावजूद कुत्तों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि दर्ज हुई है.
पूरे राजधानी की बात करें तो नगर निगम की ओर से जारी किए गए आंकड़े में करीब सवा दो लाख कुत्ते शहर की सड़कों गलियों में हैं. अगर सही ढंग से नसबंदी की गई होती तो आंकड़े में इतना उछाल तो नहीं दिखता. खैर नगर निगम के एक अधिकारी बताते है कि जब ड्राइव्स लगाई जाती है तो मुहल्ले और गैर सरकारी संस्थाओं के लोग सड़कों पर विरोध करने लगते हैं. अब ऐसे में नगर निगम की टीम कैसे काम कर सकती है.
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जानवरों को पालने वाले लोगों के लिए नगर निगम लखनऊ ने अनुज्ञप्ति/लाइसेंस की वयवस्था की है उसकी स्थिति भी ढुलमुल ही है. अगर एक सामान्य से अपार्टमेंट की बात करें तो वहां रहने वाले लोगों में से 50 लोगों ने कुत्ते या बिल्ली पाली होगी. लेकिन लाइसेंस की बात करें तो हो सकता है एक या दो लोगों के पास ही लाइसेंस मिल पाए.
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