गयाजी के मोहनपुर प्रखंड में एक बार फिर बाढ़ ने अपने दमनकारी रूप में दस्तक दी है। मुहाने नदी का जलस्तर अचानक तेजी से बढ़ने के कारण सैकड़ों गांव जलमग्न हो गए हैं, और हजारों लोग राहत की उम्मीद लगाए हुए हैं। बाढ़ का पानी सिर्फ खेत-खलिहान को ही नहीं, बल्कि लोगों की जिंदगी को भी निगलता जा रहा है। घरों में पानी भर चुका है और लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों को गोद में उठाकर जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थानों की ओर भाग रहे हैं। कई परिवार पूरी तरह बेघर हो गए हैं।

मुसमूरउला देवी की मौत

मोहनपुर के गजाधरपुर गांव की मुसमूरउला देवी बाढ़ के पानी में डूबकर अपनी जान गंवा बैठी। उनका परिवार अब मुआवजे की आस लगाए बैठा है। उनके दो मासूम बच्चे इस हादसे में अनाथ हो गए हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि बाढ़ का पानी रोजाना चढ़ता जा रहा है और खेतों में बर्बादी के अलावा कुछ नहीं बचा। किसान अपनी मेहनत और पैसों की बर्बादी पर दुखी हैं और सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं।

ग्रामीणों का गुस्सा, डैम तोड़ने की मांग

बाढ़ की वजह से जिंदगी पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो चुकी है। बतसपुर पंचायत के जट्टू मांझी ने बताया कि बाढ़ की वजह से हजारों लोग प्रभावित हो चुके हैं। बच्चे भूख और प्यास से परेशान हैं, लेकिन कोई सरकारी अधिकारी या नेता मौके पर नहीं पहुंचा है। गांव में रोने-बिलखने का माहौल है। ग्रामीणों का गुस्सा भी फूट पड़ा है। उन्होंने रोड जाम कर डैम तोड़ने की मांग की। उनका कहना है कि इस डैम के कारण पानी रुकता है और गांव डूब जाते हैं। पीड़ितों का कहना है जब तक डैम नहीं टूटेगा, तब तक हमारी जिंदगी बचाना मुश्किल है।

झारखंड में बारिश के कारण नदी का जलस्तर बढ़ा

इस घटना के बाद झारखंड में लगातार बारिश से मुहाने नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ा है, जिसके परिणामस्वरूप कई गांवों जैसे छाछ, घाटों, घोंघरिया, बसाढ़ी, मोराटाल और छपरा में पानी भर गया है। घरों में घुटनों तक पानी जमा हो गया है और लोग ऊंचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं बोधगया-मोहनपुर मुख्य रास्ते पर भी पानी चढ़ गया है, जिससे आवाजाही पूरी तरह से ठप हो गई है।

पुरानी यादें ताजा, राहत सामग्री की मांग

इससे पहले जुलाई महीने में भी मुहाने नदी का पानी बढ़ने से दर्जनों गांव प्रभावित हुए थे। तब जिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों ने राहत कार्यों का जायजा लिया था, लेकिन अब फिर हालात गंभीर हो गए हैं। ग्रामीणों की नजरें अब प्रशासन पर टिकी हैं, जिन्हें राहत सामग्री और त्वरित बचाव अभियान की उम्मीद है। अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन इन लोगों की मदद के लिए त्वरित कदम उठाता है या फिर ये लोग इसी तरह अपने हालात से जूझते रहेंगे।

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