Pitra Paksha 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष पितृपक्ष का आरंभ 7 सितंबर, रविवार को पूर्णिमा श्राद्ध से होगा. पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने वाला यह पखवाड़ा 21 सितंबर, रविवार को सर्वपितृ अमावस्या के साथ संपन्न होगा. धार्मिक मान्यता है कि इस काल में किए गए तर्पण और श्राद्ध से पितरों की आत्मा को तृप्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

पंद्रह दिनों तक चलने वाले इस पावन काल में हिंदू परिवार पिंडदान, तर्पण, श्राद्ध और दान जैसे अनुष्ठान करते हैं. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस समय का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि माना जाता है कि पितृ लोक के द्वार इस अवधि में खुले रहते हैं और पूर्वज अपने वंशजों के आह्वान पर पृथ्वी लोक पर आते हैं. उनके सम्मान में किया गया तर्पण परिवार को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करता है.
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि श्राद्ध में ब्राह्मण भोज, दान, जल अर्पण और पिंडदान अनिवार्य माने जाते हैं. वहीं, आधुनिक समय में लोग श्राद्ध तिथियों और पूजन विधियों को सोशल मीडिया के जरिए साझा कर पारंपरिक संस्कृति के प्रति जागरूकता फैला रहे हैं. धार्मिक गुरुओं के अनुसार पितृपक्ष केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा है जो पीढ़ियों को जोड़ती है. यह काल पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और स्मरण का है, जिससे परिवार और समाज में आस्था और संस्कारों का संचार होता है.
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