अभय मिश्रा, मऊगंज। मध्य प्रदेश में शिक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। शासन-प्रशासन स्मार्ट क्लासरूम के दावे करता है। लेकिन जब देश का भविष्य स्कूल न होने पर पेड़ के नीचे शिक्षा ग्रहण करते हुए दिखता है तो इन तमाम वादों और दावों की पोल खुल जाती है। ऐसा ही एक नजारा मऊगंज में देखने को मिला जहां अधूरे क्लासरूम की वजह से पेड़ विद्यालय की छत बन गया।
दरअसल, हनुमना जनपद शिक्षा केंद्र के तहत आने वाला शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय खैरा नंबर-1 पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां 173 बच्चों की पढ़ाई महज एक कमरे, पांच शिक्षक और एक पेड़ की छांव पर टिकी हुई है। यहां स्कूल भवन अधूरा है और क्लासरूम नाम की कोई चीज ही नहीं है। बच्चों की क्लासें खुले आसमान तले पेड़ के नीचे लगती है।
बरसात के दिनों में हालात और भी दर्दनाक हो जाते हैं। बच्चे जब मिड-डे मील खाने के लिए बैठते हैं तो उनकी थाली में पेड़ से टपकती बूंदें गिरती हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर पिछले दस साल से अधूरा पड़ा स्कूल भवन अब तक पूरा क्यों नहीं हुआ? बताया जाता है कि इसे लेकर कई बार शिकायत की गई, लोगों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई लेकिन हालात जस के तस हैं।
ये तस्वीरें सिर्फ़ एक स्कूल की नहीं बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की असलियत हैं। उस सिस्टम की, जो बच्चों को अधिकार तो देता है, लेकिन बुनियादी सुविधाओं से वंचित छोड़ देता है। सवाल यह है कि क्या इन बच्चों का भविष्य पेड़ की जड़ों में दबकर रह जाएगा, या कभी सरकार और प्रशासन की संवेदनशीलता सचमुच इन मासूमों तक पहुंचेगी?
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