Sudarshan Chakra Air Defence System test: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ (DRDO) ने 23 अगस्त 2025 को दोपहर करीब 12:30 बजे, ओडिशा के तट पर एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) का पहला सफलतापूर्वक परीक्षण पूरा किया। यह उपलब्धि भारत की वायु रक्षा प्रणाली को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। आईएडीडब्ल्यूएस एक बहु-स्तरीय वायु रक्षा प्रणाली है, जिसमें पूरी तरह से स्वदेशी तकनीकों का उपयोग किया गया है। इस एयर डिफेंस सिस्टम को पीएम मोदी ने ‘सुदर्शन चक्र’ एयर डिफेंस सिस्टम नाम दिया है।
इस सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ, भारतीय सशस्त्र बलों और उद्योग जगत को बधाई दी है। यह परीक्षण भारत की वायु रक्षा क्षमता को और मजबूत करता है। आईएडीडब्ल्यूएस का यह पहला परीक्षण ‘सुदर्शन चक्र’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश को हवाई खतरों से बचाने में अहम भूमिका निभाएगा।
‘सुदर्शन चक्र’ भारत की एक नई राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली है यानी एयर डिफेंस सिस्टम, जिसे डीआरडीओ (DRDO) और इसरो (ISRO) ने विकसित किया है। इसका नाम हिंदू पौराणिक कथा के भगवान विष्णु के प्रसिद्ध शस्त्र ‘सुदर्शन चक्र’ से प्रेरित है, जो दुश्मनों को पराजित करने का प्रतीक है। यह एक एडवांस मिसाइल डिफेंस और निगरानी प्रणाली है, जो भारत को हवाई हमलों, मिसाइलों और ड्रोन हमलों से बचाने के लिए डिजाइन की गई है।
प्रधानमंत्री ने किया था नाम का ऐलान
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मिसाइल रक्षा प्रणाली को ‘सुदर्शन चक्र’ का नाम दिया। उन्होंने कहा कि 2035 तक मैं इस रक्षा कवच को और विस्तार देना, मजबूत करना और आधुनिक बनाना चाहता हूं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस पूरी प्रणाली का अनुसंधान, विकास और निर्माण भारत में ही होगा। ‘सुदर्शन चक्र’ एक बहु-स्तरीय ढांचा है, जिसमें उन्नत निगरानी, साइबर सुरक्षा और भौतिक सुरक्षा उपाय शामिल होंगे। इसका उद्देश्य नागरिकों और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को दुश्मन के हमलों से सुरक्षित रखना है। यह प्रणाली मिलकर एक मजबूत सुरक्षा कवच बनाती है, जो देश के महत्वपूर्ण ठिकानों को हवाई खतरों से बचाने में मदद करेगी।

क्या है आईएडीडब्ल्यूएस?
आईएडीडब्ल्यूएस एक बहु-स्तरीय वायु रक्षा प्रणाली है, जिसमें पूरी तरह से स्वदेशी तकनीकों का उपयोग किया गया है। इसमें शामिल हैं…
- क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (QRSAM): यह तेजी से प्रतिक्रिया देने वाली मिसाइल है, जो हवाई हमलों को रोकने में सक्षम है।
- एडवांस्ड वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS): यह छोटी दूरी की मिसाइल प्रणाली है, जो नजदीकी खतरों को नष्ट करने के लिए बनाई गई है।
- हाई पावर लेजर आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW): यह एक अत्याधुनिक लेजर हथियार है, जो दुश्मन के हवाई हमलों को बेअसर करने में सक्षम है।
सुदर्शन चक्र की विशेषताएं
- रेंज: 2500 किलोमीटर तक दुश्मन की मिसाइलों को नष्ट करने की क्षमता।
- ऊंचाई: 150 किलोमीटर तक हवा में मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर सकता है।
- प्रौद्योगिकी: इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और लेजर-गाइडेड सिस्टम हैं, जो सटीक निशाना लगाते हैं।
- गति: 5 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से मिसाइल दाग सकता है।
- संरचना: यह एक ग्राउंड-बेस्ड और स्पेस-बेस्ड हाइब्रिड सिस्टम है, जिसमें सैटेलाइट और रडार नेटवर्क शामिल हैं.
- लक्ष्य: बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और हाइपरसोनिक हथियारों को नष्ट करना।
- तैनाती: इसे 2026 तक पूरी तरह चालू करने का लक्ष्य है. लागत करीब 50,000 करोड़ रुपये अनुमानित है।
सुदर्शन चक्र की विशेषताएं
- रेंज: 2500 किलोमीटर तक दुश्मन की मिसाइलों को नष्ट करने की क्षमता।
- ऊंचाई: 150 किलोमीटर तक हवा में मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर सकता है।
- प्रौद्योगिकी: इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और लेजर-गाइडेड सिस्टम हैं, जो सटीक निशाना लगाते हैं।
- गति: 5 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से मिसाइल दाग सकता है।
- संरचना: यह एक ग्राउंड-बेस्ड और स्पेस-बेस्ड हाइब्रिड सिस्टम है, जिसमें सैटेलाइट और रडार नेटवर्क शामिल हैं।
- लक्ष्य: बैलिस्टिक मिसाइल, क्रूज मिसाइल और हाइपरसोनिक हथियारों को नष्ट करना।
- तैनाती: इसे 2026 तक पूरी तरह चालू करने का लक्ष्य है. लागत करीब 50,000 करोड़ रुपये अनुमानित है।
QRSAM की खासियत
इन मिसाइलों में स्वदेशी रेडियो फ्रिक्वेंसी सीकर (RF Seeker) लगे हैं। इस सिस्टम में इसके अलावा मोबाइल लॉन्चर, ऑटोमेटेड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम, सर्विलांस और मल्टी-फंक्शन राडार होता है। आप इस मिसाइल को दागने के बाद भूल जाइए। यह अपने टारगेट का पीछा करके मारता है। QRSAM के ऊपर HMX/TNT या प्री-फ्रैगमेंटेड वॉरहेड लगाया जा सकता है। वॉरहेड का वजन 32 kg हो सकता है। मिसाइल की रेंज 3 से 30 km है. यह 98 फीट ऊंचाई से लेकर 33 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकती है। इसकी अधिकतम गति मैक 4.7 यानी 5757.70 km/hr है। इसे छह ट्यूब वाले लॉन्चर ट्रक से दागा जा सकता है।
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