रायपुर- रिटायरमेंट के करीब तीन साल बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव रहे टी राधाकृष्णन एक मामले में दोषी करार दिए गए हैं ! सात साल बाद इस मामले की जांच खत्म हुई है. सूत्र बताते हैं कि जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी है. उन पर आरोप है कि माध्यमिक शिक्षा मंडल में चेयरमेन रहते हुए उन्होंने मंडल के समानांतर एक और बोर्ड को मान्यता दे दी थी. यह मान्यता उन्होंने तमाम नियम-कायदों को दरकिनार कर दी थी, जबकि मंडल के सभी सदस्य इसके खिलाफ थे. इधर स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी ने कहा है कि जांच रिपोर्ट सामान्य प्रशासन को भेजी गई है. विभाग इस मामले में आगे की कार्रवाई करेगा.
बताया जा रहा है कि माध्यमिक शिक्षा मंडल में चेयरमेन रहने के दौरान टी राधाकृष्णन ने बिलासपुर के बोर्ड आॅफ स्कूल एवं टेक्नीकल एजुकेशन को छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के समानांतर मान्यता दिया था. मान्यता को लेकर मचे हंगामे के बाद इसे निरस्त कर दिया गया था. तब मंडल के उप सचिव रहे यशवंत सिंह वर्मा और व्याख्याता डाॅ.ओ पी मिश्रा को निलंबित करते हुए कारण बताओ नोटिस दिया गया था. नोटिस का जवाब संतोषजनक पाए जाने पर बहाली भी कर दी गई थी.
शासन स्तर पर इस पूरे मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई गई थी. पिछले दिनों ही कमेटी ने अपनी रिपोर्ट पूरी की है. माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव प्रो. वी के गोयल कमेटी के सदस्य थे. उन्होंने जो जांच रिपोर्ट शासन को भेजी है, उसमें इस बात का साफ जिक्र है कि बोर्ड आॅफ स्कूल एंड टेक्नीकल एजुकेशन को तत्कालीन चेयरमेन ने 7 नवंबर 2012 को अपने हस्ताक्षर से अस्थायी समकक्षता संबंधी पत्र जारी किया था, जबकि संस्था द्वारा शासन से मान्यता संबंधी प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया था. कमेटी ने पाया कि इस पूरी प्रक्रिया में कहीं भी नियमों का पालन नहीं किया गया.
बताते हैं कि जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह तथ्य भी शामिल किया है कि पाठ्यचर्चा समिति की बैठक के पहले ही टी राधाकृष्णन ने अपने हस्ताक्षर से बोर्ड को समकक्षता दे दी थी. जबकि ऐसी स्थिति में कार्यवाही विवरण में कार्योत्तर अनुमोदन का जिक्र किया जाना था, जो नहीं किया गया था. जांच कमेटी ने पाठ्यचर्चा समिति की बैठक में मौजूद 21 सदस्यों और 3 मंडल अधिकारियों के बयान लिए थे, जिसमें यह पाया गया कि उस बैठक में चेयरमेन मौजूद ही नहीं थे. रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि समिति ने बिलासपुर के बोर्ड को मान्यता देने से इंकार कर दिया था. अब जब कमेटी की रिपोर्ट सरकार तक पहुंची है, तो माना जा रहा है कि इस दिशा में जल्द ही बड़ी कार्रवाई की जा सकती है.