अमृतसर। श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पहले प्रकाश पर्व के अवसर पर अमृतसर शहर आध्यात्मिक रंग में रंगा नजर आया. सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार, गुरुद्वारा श्री रामसर साहिब से एक विशाल नगर कीर्तन निकाला गया, जो श्री हरिमंदिर साहिब और श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचकर संपन्न हुआ.

नगर कीर्तन की अगवानी पंज प्यारों ने की, और यह श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पावन छत्र-छाया में शुरू हुआ. ‘बोले सो निहाल’ के जयकारों और रण सिंगों की धुनों से गूंजते शहर में कीर्तन रामसर रोड, चौक करोड़ी, चौक बाबा साहिब और गुरुद्वारा बाबा अटल राय से होता हुआ दरबार साहिब पहुंचा.
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी, जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज सहित कई वरिष्ठ अधिकारी, कर्मचारी और संगत बड़ी संख्या में शामिल हुए. इस अवसर पर शिरोमणि कमेटी की ओर से जलौ साहिब भी सजाए गए, जिनके दर्शन कर संगत ने खुद को धन्य महसूस किया.
संगत को सिख इतिहास से कराया अवगत
श्री अखंड पाठ साहिब के भोग और अरदास के बाद श्री दरबार साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह ने संगत को सिख इतिहास के बारे में बताया. उन्होंने जानकारी दी कि सन् 1604 में श्री गुरु अर्जन देव जी ने गुरु ग्रंथ साहिब जी का संपादन करवाया था, और बाबा बुद्धा जी ने इस पावन स्वरूप का पहला प्रकाश श्री हरिमंदिर साहिब में किया था.
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