पटना। जिले में डायल 112 सेवा आज पूरी तरह से ठप हो गई है। इसका कारण सभी चालकों द्वारा अपनी विभिन्न मांगों को लेकर की जा रही हड़ताल है। हड़ताल दो दिनों तक चलेगी और इसका असर पूरे जिले के विभिन्न थानों में देखने को मिलेगा, जहां करीब 124 गाड़ियां और 400 से अधिक चालक काम कर रहे हैं। हड़ताल का नेतृत्व चालक संगठन के अध्यक्ष चन्दन कुमार और उपाध्यक्ष धीरज कुमार यादव कर रहे हैं।

जानें क्या है मांग

हड़ताल में शामिल चालक अपनी कई मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि डायल 112 सेवा में बहाली के समय जो आश्वासन दिए गए थे, वे अब तक पूरे नहीं हुए हैं। 25000 रुपए पर भर्ती किए गए चालकों को केवल 750 रुपए की वृद्धि मिली है, जो कि उनके लिए नाकाफी है। साथ ही, चालक संगठन के नेताओं का कहना है कि उन्हें यह भरोसा दिलाया गया था कि घर से 10 से 15 किलोमीटर के दायरे में ड्यूटी दी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इसके अलावा, उन्हें साल में 20 दिन की छुट्टी और साप्ताहिक अवकाश मिलने का वादा किया गया था, जो अभी तक लागू नहीं हुआ है।

महिलाओं से ली जा रही 12- 12 घंटे की ड्यूटी

इतना ही नहीं चालक संघ के मुताबिक, महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहे हैं। महिलाएं 12-12 घंटे की शिफ्टों में ड्यूटी कर रही हैं और कई बार उन्हें छोटे बच्चों को गोद में लेकर काम करना पड़ता है। थानों से रिलीवर न मिलने की वजह से छुट्टी लेना भी असंभव हो जाता है। चालक संघ का आरोप है कि महिलाओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है और वे मानसिक रूप से परेशान हैं।

संघ ने अपनी प्रमुख मांगें सामने रखी

इन सभी समस्याओं और मांगों को लेकर चालक संघ ने अपनी प्रमुख मांगें सामने रखी हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. चालक को पहचान पत्र और नियुक्ति पत्र दिया जाए।
  2. स्थानांतरण भत्ते की व्यवस्था होनी चाहिए।
  3. स्थानांतरण म्यूचुअल आधार पर हो।
  4. समान काम के लिए समान वेतन मिलना चाहिए।
  5. साप्ताहिक अवकाश दिया जाए।
  6. चालक संघ का अपना संगठन बनाने की अनुमति दी जाए।
  7. राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए।
  8. दूसरे राज्यों के तर्ज पर वेतनमान लागू किया जाए।
  9. स्थानांतरण को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जाए।

भूतपूर्व सैनिकों की बहाली जनवरी 2022 में की गई थी

बता दें कि डायल 112 सेवा के अंतर्गत भूतपूर्व सैनिकों की बहाली जनवरी 2022 में की गई थी। इन सैनिकों को अभी तक किसी भी प्रकार का वेलफेयर नहीं मिला है, जबकि 15 जवानों की मृत्यु हो चुकी है। इन सैनिकों का कहना है कि उन्हें न तो सही प्रशिक्षण दिया गया और न ही वे किसी प्रकार की सुरक्षा की सुविधाओं का लाभ उठा पाए हैं। इस हड़ताल से पटना जिले में सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है, और यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या सरकार और प्रशासन इन कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान कर पाएंगे या यह संघर्ष और बढ़ेगा।

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