शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस के दो दिग्गजों के बीच एक बार फिर सियासी अदावत शुरू हो गई है। एमपी कांग्रेस में करीब 4 दशक तक अपना सिक्का चलाने वाले कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों दिग्गज 2020 में कांग्रेस सरकार गिरने के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार बता रहे हैं। क्या जो दिखाई दे रहा है, वही सही है या फिर पर्दे के पीछे कुछ और खेल चल रहा है? क्योंकि जब सरकार गिरी थी तब भी राज्यसभा का चुनाव करीब था और अब भी। अप्रैल 2026 में दिग्विजय सिंह का कार्यकाल खत्म हो रहा है और आंकड़ों के हिसाब से खाली हो रही सीट कांग्रेस के खाते में जाएगी।

क्या दोनों के बीच राज्यसभा की लड़ाई?

मार्च 2020 में यानी करीब 5 साल पहले जब कांग्रेस की सरकार गिरी थी तब भी राज्यसभा का चुनाव मुहाने पर था और तीन राज्यसभा सीटें खाली हो रहीं थी। एक सीट कांग्रेस और दूसरी सीट बीजेपी के पास आंकड़ों के हिसाब से जाती नजर आ रही थी। तीसरी सीट पर कांग्रेस को कुछ निर्दलियों का साथ चाहिए था। ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह दोनों राज्यसभा जाना चाहते थे। बहुमत नहीं होने के कारण दूसरी सीट पर थोड़ा खतरा था। इसलिए सिंधिया और दिग्विजय चाहते थे कि पार्टी उन्हें पहली वरियता पर रखे। जिससे वो आसानी से चुनाव जीत सकें। दोनों की तरफ से दिल्ली में लॉबिंग की गई और तकरार बढ़ती चली गई। इसी बीच सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के साथ पार्टी छोड़ देते हैं। जिससे 15 साल बाद बनी कांग्रेस की सरकार गिर जाती है। बीजेपी में शामिल होने के बाद सिंधिया बीजेपी के कोटे से राज्यसभा जाते हैं।

क्या दिग्विजय सिंह जिला अध्यक्ष की नियुक्ति से नाराज?

मध्यप्रदेश कांग्रेस में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के बाद से विरोध के सुर सुनाई दे रहे हैं। लिस्ट पर नजर दौड़ाएं तो दिग्विजय सिंह के समर्थक उतनी जगह नहीं बना पाए, जितनी हमेशा संगठन में पिछले 40 साल से वो हासिल कर रहे थे। कई जगहों पर दिग्विजय सिंह के प्रयासों के बावजूद वो जिलाध्यक्ष नहीं बनवा पाए। जिसमें भोपाल शहर अध्यक्ष भी शामिल है। जहां उनके कट्टर समर्थक मोनू सक्सेना ने कांग्रेस नेताओं पर कई गंभीर आरोप भी लगाए। उल्टा दिग्विजय सिंह के बेटे तीन बार के कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह को गुना का जिलाध्यक्ष बना दिया गया। जिसके बाद उनके समर्थकों ने पार्टी पर आरोप लगाया कि प्रदेश के नेता को जिले में सीमित कर दिया। क्या दिग्विजय सिंह को ये टीस है कि उनके बेटे और समर्थकों को धीरे-धीरे साइड लाइन किया जा रहे है?

ज्योतिरादित्य सिंधिया को क्लीन चिट !

कमलनाथ ने सोशल मीडिया पर सरकार गिरने की जो वजह बताई है वो आरोप सरकार में रहते हुए तत्कालीन वन मंत्री उमंग सिंघार भी लगा चुके हैं। दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की नूराकुश्ती में ज्योतिरादित्य सिंधिया पर लगे वो दाग धुलते नजर आ रहे हैं जो आरोप पिछले 5 साल से कांग्रेस के तमाम नेता उन पर लगाते रहे हैं कि सरकार गिरने के लिए सिंधिया जिम्मेदार हैं।

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