दुर्ग। छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने रविवार को दुर्ग जिले के मड़ियापार गांव में आयोजित पोला महोत्सव और किसान महोत्सव के दौरान ऑनलाइन मनी गेमिंग और सट्टेबाजी के खिलाफ सख्त रुख दोहराया। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स, जिनमें वास्तविक पैसे का लेन-देन शामिल है, जो समाज के लिए हानिकारक हैं और सरकार इनके खिलाफ पूरी ताकत से कार्रवाई करेगी।

उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने स्पष्ट किया, “ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स और सट्टेबाजी में शामिल या इसे बढ़ावा देने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
उपमुख्यमंत्री ने संसद द्वारा पारित ऑनलाइन गेमिंग प्रोत्साहन और विनियमन विधेयक, 2025 का जिक्र करते हुए बताया कि यह कानून नागरिकों को ऑनलाइन मनी गेमिंग के खतरों से बचाने के लिए बनाया गया है। उन्होंने कहा कि अब राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि इसे कड़ाई से लागू करें और छत्तीसगढ़ सरकार इसे पूरे समर्पण के साथ लागू करेगी।
छत्तीसगढ़ के चर्चित महादेव सट्टा ऐप के प्रमुख संचालक सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल के खिलाफ पहले ही गैर-जमानती वारंट जारी किया जा चुका है। दोनों ने इस कार्रवाई को रोकने के लिए याचिका दायर की है। विजय शर्मा ने इसपर कहा, “हमें कोई संदेह नहीं है कि अदालत उचित प्रक्रियाओं के तहत कार्रवाई करेगी। विष्णु देव साय की सरकार सुशासन के लिए प्रतिबद्ध है और हर कदम कानून के दायरे में उठाया जाएगा।”
सौरभ और रवि की NBW रद्द करने की अर्जी पर फैसला 3 नवंबर तक सुरक्षित

गौरतलब है कि रायपुर की स्पेशल कोर्ट में बीते शनिवार को महादेव सट्टा ऐप संचालक सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल की गैर-जमानती वारंट (NBW) रद्द करने की याचिका पर सुनवाई हुई। दोनों के वकीलों ने 3 महीने का समय मांगते हुए सरेंडर की बात कही, जबकि ईडी ने शर्त रखी कि केवल बिना शर्त आत्मसमर्पण (अनकंडीशनल सरेंडर) पर ही वारंट रद्द करने पर विचार होगा।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट पहले ही उनकी याचिका खारिज कर चुका है, जबकि रवि उप्पल की सुप्रीम कोर्ट में याचिका लंबित है। कोर्ट ने अब फैसला 3 नवंबर तक सुरक्षित रख लिया है।

भारत में 32,000 करोड़ का है ऑनलाइन गेमिंग उद्योग
गौरतलब है किभारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और वर्तमान में इसका मार्केट आकार लगभग 32,000 करोड़ रुपए है। इनमें से 86% रेवेन्यू रियल-मनी गेम्स से आता था, जिसमें खिलाड़ी असली पैसे लगाकर गेम खेलते थे। सरकार के अनुसार, इस प्रकार के मनी-बेस्ड गेमिंग से समाज में कई गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही थीं।
1. मानसिक और आर्थिक नुकसान:
रियल-मनी गेमिंग की वजह से कई लोग मानसिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं। गेमिंग लत के कारण लोग अपनी जीवन की बचत तक हार चुके हैं। कुछ मामलों में तो आत्महत्या की घटनाएं भी सामने आई हैं। यह समस्या विशेष रूप से युवा और मिडिल-क्लास परिवारों में अधिक देखी गई, जिससे अनुमानित 20,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
2. स्वास्थ्य और सामाजिक प्रभाव:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे गेमिंग डिसऑर्डर के रूप में मान्यता दी है। इससे नशा बढ़ रहा है, पारिवारिक और सामाजिक जीवन प्रभावित हो रहा है और युवाओं का समय उत्पादक गतिविधियों से हटकर गेमिंग की ओर जा रहा है।
3. राष्ट्रीय सुरक्षा और मनी लॉन्ड्रिंग का खतरा:
मनी-बेस्ड गेम्स का संचालन और इसके लेन-देन अक्सर अनधिकृत चैनलों और इलेक्ट्रॉनिक भुगतान सिस्टम्स के माध्यम से होता है। इससे मनी लॉन्ड्रिंग और वित्तीय धोखाधड़ी का खतरा बढ़ रहा था।
4. ऑनलाइन गेमिंग कानून का महत्व:
इन सभी समस्याओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने “ऑनलाइन गेमिंग प्रोत्साहन और विनियमन विधेयक, 2025” को संसद में पेश किया। इसे 20 अगस्त को लोकसभा और 21 अगस्त को राज्यसभा ने पास किया और राष्ट्रपति की मंजूरी 22 अगस्त 2025 को मिली। इस कानून के तहत अब रियल-मनी गेम्स और उनका प्रचार पूरी तरह गैरकानूनी है। इसके अलावा, सरकार ने विशेष रेगुलेटरी अथॉरिटी बनाई है, जो गेमिंग इंडस्ट्री को रजिस्टर करेगी, निगरानी करेगी और सुनिश्चित करेगी कि कोई गेम रियल-मनी गेम के दायरे में न आए।
5. ई-स्पोर्ट्स और फ्री गेम्स को बढ़ावा:
कानून में यह भी स्पष्ट किया गया है कि ई-स्पोर्ट्स और फ्री गेम्स, जैसे पबजी और फ्री फायर, जिनमें पैसे का लेन-देन नहीं होता, उन्हें बढ़ावा मिलेगा। सरकार का उद्देश्य है कि केवल मनोरंजन और स्किल-बेस्ड गेमिंग को ही प्रोत्साहित किया जाए।
6. संभावित आर्थिक और रोजगार प्रभाव:
सट्टेबाजी और मनी-बेस्ड गेम्स बंद होने के कारण उद्योग में अनुमानित 2 लाख नौकरियां प्रभावित हो सकती हैं और सरकार को सालाना लगभग 20,000 करोड़ रुपए का टैक्स नुकसान होने की संभावना है। बावजूद इसके सरकार का मानना है कि सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा पहले प्राथमिकता है।
कानून के मुख्य प्रावधान:
रियल-मनी गेम्स पर रोक: स्किल-बेस्ड और चांस-बेस्ड दोनों गेम्स में पैसे का लेन-देन गैरकानूनी माने जाएंगे।
सजा और जुर्माना:
- गेम ऑफर/प्रचार करने पर: 3 साल जेल + 1 करोड़ जुर्माना
- विज्ञापन करने वालों पर: 2 साल जेल + 50 लाख जुर्माना
- गेम खेलने वालों को कोई सजा नहीं।
रेगुलेटरी अथॉरिटी: गेम्स को रजिस्टर और निगरानी।
ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा: फ्री गेम्स और सोशल गेम्स को प्रमोट।
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