रायपुर। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने मंगलवार को बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में छठा अभियोग पत्र रायपुर की विशेष अदालत में पेश किया। यह अभियोग पत्र मुख्य रूप से विदेशी शराब की सप्लाई पर लिए जाने वाले अवैध कमीशन से जुड़ी जांच पर आधारित है।

बता दें कि जांच एजेंसियों ने पहले ही साफ कर दिया था कि घोटाले के दौरान आबकारी विभाग में एक संगठित सिंडीकेट काम कर रहा था। इस नेटवर्क में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और निरंजन दास जैसे अफसरों के साथ-साथ कारोबारी अनवर ढेबर, विकास अग्रवाल और अरविंद सिंह शामिल थे। इनके इशारे पर शराब की सप्लाई और बिक्री से जुड़ी पूरी व्यवस्था को कमीशनखोरी के लिए इस्तेमाल किया गया।

सरकारी शराब दुकानों में बिकने वाली शराब की आपूर्ति पर प्रति पेटी कमीशन लिया जाता था। डिस्टिलरी से अतिरिक्त शराब बनवाकर दुकानों तक पहुंचाई जाती और उसकी कमाई अलग से वसूली जाती। इतना ही नहीं, विदेशी शराब की सप्लाई के लिए भी सिंडीकेट ने एक समानांतर कमीशन व्यवस्था बना रखी थी।

कैबिनेट से दिलाई गई नई आबकारी नीति को मंजूरी

जब कुछ विदेशी शराब सप्लायर कंपनियां नकद कमीशन देने से बचने लगीं, तो सिंडीकेट ने इस समस्या को दूर करने के लिए एक नई चाल चली गई। उन्होंने “एफएल-10ए/बी” लाइसेंस व्यवस्था लागू करने की सिफारिश की। सिंडीकेट के दबाव और राजनीतिक प्रभाव के चलते 2020-21 में कैबिनेट से नई आबकारी नीति को मंजूरी दिलाई गई।

इससे पहले तक विदेशी शराब की खरीद का काम छत्तीसगढ़ ब्रेवरीज कॉर्पोरेशन करता था। यह कॉर्पोरेशन सप्लायर से शराब खरीदकर उस पर शुल्क जोड़कर राज्य मार्केटिंग कॉर्पोरेशन को बेचता था और लाभ सीधे सरकारी खजाने में जाता था। लेकिन नई नीति के बाद ब्रेवरीज कॉर्पोरेशन को हटा दिया गया और तीन निजी कंपनियों को सीधा एफएल-10ए लाइसेंस दे दिया गया।

इन कंपनियों ने विदेशी सप्लायर से शराब खरीदकर उस पर 10% मार्जिन जोड़ा और फिर राज्य मार्केटिंग कॉर्पोरेशन को बेच दिया। इस 10% मार्जिन का बड़ा हिस्सा सिंडीकेट को कमीशन के रूप में जाता था। तीन साल तक यही कंपनियां लगातार लाइसेंस लेती रहीं।

लाइसेंस प्राप्त कंपनियां और मुनाफे का बंटवारा

ओम साई ब्रेवरेज प्रा. लि. – यह कंपनी अतुल सिंह और मुकेश मनचंदा के नाम पर थी, लेकिन असल लाभार्थी विजय कुमार भाटिया थे। कंपनी से हुए मुनाफे का 60% हिस्सा सिंडीकेट को दिया जाता और शेष हिस्से में से 52% लाभ विजय भाटिया का होता था। भाटिया ने डमी डायरेक्टर बनाए और अपना हिस्सा वेतन और बैंक खातों के जरिए लिया। जांच में पता चला कि उन्होंने इस व्यवस्था से लगभग 14 करोड़ रुपये कमाए।

नेक्सजेन पावर इंजिटेक प्रा. लि. – इस कंपनी के पीछे असली मालिक चार्टर्ड अकाउंटेंट संजय मिश्रा थे। वह सरकारी शराब दुकानों के ऑडिट से जुड़े हुए थे और सिंडीकेट की वित्तीय लेन-देन को वैध दिखाने के लिए सलाहकार की भूमिका निभाते थे। कंपनी में मिश्रा ने अपने छोटे भाई मनीष मिश्रा और अरविंद सिंह के भतीजे अभिषेक सिंह को डायरेक्टर बनाया। तीन साल में कंपनी ने सिंडीकेट को कमीशन देने के बाद लगभग 11 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया।

दिशिता वेंचर्स प्रा. लि. – यह कंपनी पुराने विदेशी शराब कारोबारी आशीष सौरभ केडिया की थी। इसे भी नई नीति के तहत लाइसेंस मिला।

गौरतलब है कि इन तीन कंपनियों को लाइसेंस देने से सरकार को कम से कम 248 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ। EOW-ACB के अभियोग पत्र में ओम साई ब्रेवरेज से जुड़े विजय कुमार भाटिया, और नेक्सजेन पावर इंजिटेक के संजय मिश्रा, मनीष मिश्रा व अभिषेक सिंह को अभियुक्त बनाया गया है। ये सभी फिलहाल जेल में हैं। वहीं, अन्य लाइसेंसी कंपनियों और उनसे जुड़े लोगों के खिलाफ अलग से अभियोग पत्र दायर करने की तैयारी है।

पूर्व मंत्री को घोटाले में मिले 64 करोड़ रुपये

बता दें कि शराब घोटाला मामले में ईडी ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को इसी साल 15 जनवरी को गिरफ्तार किया था। इस मामले में EOW ने भी केस दर्ज किया है और गिरफ्तारी की, जिसकी जांच के बाद चार्जशीट पेश की गई। कवासी लखमा ने अपने वकील हर्षवर्धन के माध्यम से अलग-अलग याचिका दायर की है।

शराब घोटाला मामले की जांच में अब तक यह पता है कि पूर्व मंत्री लखमा के संरक्षण में विभागीय अधिकारियों, सहयोगियों और ठेकेदारों के माध्यम से सुनियोजित घोटाले को क्रियान्वित किया गया। इस घोटाले से हासिल की गई रकम को व्यक्तिगत और परिवार के हितों में खर्च किया गया, जिससे उन्हें अत्यधिक और अनुचित आर्थिक लाभ प्राप्त हुआ। अब तक तीन पूरक अभियोग पत्रों सहित कुल चार अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किए जा चुके हैं। इसके अलावा मामले में 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। घोटाले की जांच जारी है।

21 जनवरी से जेल में हैं कवासी लखमा

गौरतलब है कि शराब घोटाले मामले में ED ने 15 जनवरी को कवासी लखमा को गिरफ्तार किया था। इससे पहले उनसे 2 बार ED दफ्तर बुलाकर पूछताछ की गई थी। पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को गिरफ्तार करने से पहले ED ने उन्हें 7 दिन कस्टोडियल रिमांड में लेकर पूछताछ की थी। उसके बाद 21 जनवरी से 4 फरवरी तक लखमा को 14 दिन के न्यायिक रिमांड पर भेजा गया। पिछली सुनवाई के दौरान जेल में पर्याप्त सुरक्षा बल नहीं होने के कारण लखमा की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेशी हुई थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने लखमा की 18 फरवरी तक रिमांड बढ़ा दी थी।

क्या है शराब घोटाला?

तत्कालीन भूपेश सरकार में पूर्व IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और मुख्यमंत्री सचिवालय की तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ आयकर विभाग ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 11 मई, 2022 को याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत, अवैध दलाली के बेहिसाब पैसे का खेल चल रहा है। इसमें रायपुर महापौर रहे एजाज ढेबर का भाई अनवर ढेबर अवैध वसूली करता है। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में दायर याचिका के आधार पर ईडी (ED) ने 18 नवंबर, 2022 को PMLA एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था। आयकर विभाग से मिले दस्तावेजों के आधार पर ईडी ने जांच के बाद 2161 करोड़ के घोटाले की बात का कोर्ट में पेश चार्जशीट में जिक्र किया था।

ED ने अपनी चार्जशीट में बताया कि किस तरह एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर के आपराधिक सिंडिकेट के जरिए आबकारी विभाग में बड़े पैमाने पर घोटाला किया गया। ED ने चार्जशीट में कहा कि 2017 में आबकारी नीति में संशोधन कर CSMCL के जरिए शराब बेचने का प्रावधान किया गया, लेकिन 2019 के बाद शराब घोटाले के किंगपिन अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का MD नियुक्त कराया। उसके बाद अधिकारियों, कारोबारियों और राजनीतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के जरिए भ्रष्टाचार किया गया, जिससे 3200 करोड़ का घोटाला हुआ। इस मामले में ED ने 15 जनवरी को कवासी लखमा को गिरफ्तार किया था।

गौरतलब है कि 30 जून की चार्जशीट से पहले 13 मार्च को शराब घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने स्पेशल कोर्ट में 3,841 पन्नों का चालान पेश किया था, जिसमें जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा समेत 21 अन्य को आरोपी बनाया गया था। इसमें कवासी लखमा, अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, छत्तीसगढ़ डिस्टिलर, वेलकम डिस्टिलर, टॉप सिक्योरिटी, ओम साईं ब्रेवरीज, दिशिता वेंचर, नेक्स्ट जेन पावर, भाटिया वाइन मर्चेंट और सिद्धार्थ सिंघानिया सहित अन्य लोगों के नाम शामिल हैं।

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