रायपुर. कांकेर के तुमापाल में नक्सलियों ने फिर तीन निर्दोष लोगों की हत्या कर दी. ये तीनों उस डीजल टैंकर में थे जिसे सुबह नक्सलियों ने उड़ा दिया था. पिछले चार सालों में नक्सली लगातार निर्दोष नागरिकों की  हत्याएं कर रहे हैं.

2016 से अब तक नक्सली हिंसा में 242 निर्दोष नागरिकों मार चुके हैं. इनमें ज़्यादातर गरीब, मेहनतकश, आदिवासी हैं. आज की घटना से नक्सलियों का जनविरोधी, आदिवासी विरोधी चेहरा एक बार फिर बेनकाब हुआ है. जनके हितैषी होने का दम नक्सली करते हैं.

अगर आंकड़ों पर नज़र डालें तो साल 2016 में नक्सली हिंसा में 60 बेगुनाह लोगों की मौत हुई थी. साल 2017 में नक्सली हमले में मरने वालों की संख्या 58 थी. 2018 में ये बढ़कर 89 पहुंच गई. इस साल अब तक 35 बेगुनाह लोग नक्सली हमले के शिकार हुए हैं.

सुकमा के कलेक्टर को नक्सलियों के कब्जे से छुड़ाने में मध्ययस्था निभाने वाले स्वामी अग्निवेश ने नक्सलियों की इस हरकत  की जमकर निंदा की है. उन्होंने लल्लूराम डॉट कॉम से कहा है कि नक्सलियों को ये सब बंद करना चाहिए. अग्निवेश ने कहा कि बस्तर में हिंसा में न सीआरपीएफ के जवान हिंसा में मरने चाहिए न ही नक्सली के नाम पर आदिवासियों का मारा जाना चाहिए.

वहीं राज्य के डीजीपी डीएम अवस्थी ने कहा कि नक्सली कुछ गरीब लोगों को निशाना जानबूझकर बना रहे हैं. वे कभी किसी घटना में निर्दोष नागरिकों को मारते हैं तो कभी मुखबिरी के नाम पर. नक्सलियों ने दो दिन पहले एक बच्चे को मार डाला. अवस्था ने कांकेर की घटना को बेहद निंदनीय करार दिया है. अवस्थी ने कहा कि इस घटना से ये बात एक बार फिर साबित हो गई कि नक्सली असल में जनविरोधी हैं.