अरविन्द मिश्रा, बलौदाबाजार. बलौदाबाजार के विधायक एवं उच्च शिक्षा मंत्री टंकराम वर्मा के क्षेत्र के सबसे बड़े कॉलेज ‘शासकीय दाऊ कल्याण कला एवं वाणिज्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय’ की स्थिति बदहाल हो चुकी है. छात्र-छात्राएं जान जोखिम में डालकर कक्षाओं में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. कई कक्षाओं की छत से प्लास्टर उखड़कर गिर रहा है, जो कभी भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है.

खड़े रह कर करते हैं पढ़ाई

महाविद्यालय में वर्तमान में 2600 रेगुलर और लगभग 3400 प्राइवेट विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. इतनी बड़ी संख्या के बावजूद न तो पर्याप्त कक्षाएं हैं और न ही बैठने की समुचित व्यवस्था. कई बार छात्रों को खड़े होकर कक्षाओं में पढ़ाई करनी पड़ती है.

लाइब्रेरी में केवल 15 छात्रों की व्यवस्था

लाइब्रेरी प्रभारी प्राध्यापक अमृत लाल चौधरी ने बताया कि लाइब्रेरी में पुस्तकों की कमी नहीं है, लेकिन बैठने की जगह बेहद सीमित है. केवल एक बरामदे में करीब 15 छात्र ही एक साथ बैठकर अध्ययन कर सकते हैं. छात्रों को एक बड़े और सुसज्जित अध्ययन हाल की सख्त जरूरत है.

फोटो: लाइब्रेरी प्रभारी प्राध्यापक अमृत लाल चौधरी

एक छात्रा हो चुकी है घायल

1996 में निर्मित भवन की दीवारों और छतों से लगातार प्लास्टर झड़ रहा है. एक छात्रा ने तो यह भी बताया कि वाशरूम का प्लास्टर गिरने से एक छात्रा घायल हो चुकी है. बरसात के दिनों में परिसर में पानी भरने की समस्या भी गंभीर रूप ले लेती है.

शिक्षकों की भारी कमी, अतिथि शिक्षकों पर निर्भर

इतना बड़ा महाविद्यालय आज भी अधिकांशत: अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रहा है. रेगुलर प्राध्यापकों की भारी कमी है, जिससे पढ़ाई की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है. प्रथम वर्ष में विज्ञान संकाय में 130 और कला संकाय में 180 छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं, जिन्हें क्लासरूम में बैठने की व्यवस्था न होने के कारण खड़े होकर पढ़ना पड़ रहा है.

मजबूरी में पढ़ रहे छात्र

महाविद्यालय में पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों का कहना है कि उनके पास दूसरा विकल्प नहीं है, इसलिए वे यहां शिक्षा लेने को मजबूर हैं. बावजूद इसके, सुविधाओं की कमी और भवन की जर्जर स्थिति के कारण वे हर समय खतरे में रहते हैं.

सरकार से मदद की उम्मीद

छात्र-छात्राओं ने उम्मीद जताई है कि प्रदेश सरकार और उच्च शिक्षा मंत्री शीघ्र ही उनकी समस्याओं पर ध्यान देंगे और ठोस कदम उठाएंगे, ताकि वे बिना डर और असुविधा के पढ़ाई कर सकें.

जानिए क्या कहते हैं जिम्मेदार:

महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डा राजेश मिश्रा ने इस पूरे मामले में कहा कि महाविद्यालय में हो रही परेशानियों को लेकर हमने पहले मंत्री जी को मौखिक रूप से जानकारी दी थी कि बिल्डिंग जर्जर भी हो चुकी है और हमारे पास बच्चों को बैठाने की भी व्यवस्था बहुत कम है. चूंकि इस समय MSC और MA जैसे कई कोर्स को मिलाकर हमारे पास काफी सब्जेक्ट हो जाते हैं. इसके कारण हमें बच्चों को बैठाने में समस्या होती है. इसलिए मंत्री से हमने निवेदन किया है. आगामी समय में लिखित रूप से भी महाविद्यालय के लिए नई बिल्डिंग की व्यवस्था की मांग करेंगे, जिससे विद्यार्थियों के लिए काफी लाभ मिल सकेगा.

फोटो: प्रभारी प्राचार्य डा राजेश मिश्रा

1986 में बनी थी महाविद्यालय की बिल्डिंग

उन्होंने बताया कि बिल्डिंग काफी पुरानी है. 1986 में बनी थी. इसमें काफी दरारें आ चुकी हैं और प्लास्टर भी गिर जाते हैं. बच्चों को खड़े-खड़े भी पढ़ना पड़ता है. कई बार एक क्लास खत्म होने के बाद दूसरे क्लास के बच्चों की कक्षा ली जाती है. कई सेक्शन में बच्चों को बांटा भी गया है. केमेस्ट्री के बच्चों को B1, B2 और B3 सेक्शन में बांटा गया है, क्योंकि बच्चों की संख्या बहुत है. वहीं  शिक्षकों की कमी को लेकर उन्होंने कहा कि हम शासन के नियमानुसार संविदा में शिक्षकों की नियुक्ति कर काम चलाते हैं.