चंकी बाजपेयी, इंदौर। मध्य प्रदेश का इंदौर शहर इस समय जय श्री गणेश के नारों से गूंज उठा है। गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर शहर के पश्चिम क्षेत्र में स्थित बड़ा गणपति मंदिर में एशिया के सबसे बड़े श्री गणेश जी की भव्य प्रतिमा के दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा हुआ है। यह विशालकाय प्रतिमा 25 फीट ऊंची और 14 फीट चौड़ी चौकी पर विराजमान है।  

जानें क्या है इससे जुड़ी कहानी 

सन् 1901 में स्वर्गीय पंडित नारायण दाधीच द्वारा इस प्रतिमा की स्थापना की गई थी। मान्यता है कि श्री गणेश ने उन्हें स्वप्न में दर्शन दिए, जिसके आधार पर उन्होंने इस भव्य मूर्ति का निर्माण करवाया। प्रतिमा का निर्माण चूना, गेरू, रेत, मेथी दाना, गौशाला की मिट्टी, हाथी की खान, सोना, चांदी, लोहा जैसी अष्ट धातुओं, नवरत्नों और देश की पवित्र नदियों के जल से किया गया है। इस विशाल मूर्ति को बनाने में करीब तीन वर्ष का समय लगा।  

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यहां गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक 10 दिनों तक विशेष पूजा-अर्चना होती है। भाद्रपद, कार्तिक, माघ और बैसाख मास की चतुर्थी पर इस प्रतिमा पर सवामन घी, सिंदूर और पन्नियों से चोला चढ़ाया जाता है, जिसमें सात दिन लगते हैं। मंदिर की तीसरी पीढ़ी में पंडित धनेश्वर दाधीच और चौथी पीढ़ी में पंडित राजेश, राकेश, प्रमोद, सचिन और आदित्यनारायण दाधीच श्री गणेश की सेवा में तत्पर हैं। यहां लाखों भक्त प्रत्यक्ष दर्शन के लिए पहुंचते हैं, वहीं विदेशों में रहने वाले भक्त ऑनलाइन दर्शन की सुविधा का लाभ उठाते हैं। मान्यता है कि बड़ा गणपति भक्तों की हर चिंता को हर लेते हैं।  

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