हेमंत शर्मा, इंदौर। स्पिरिचुअल कॉन्क्लेव में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि भारत की आध्यात्मिक विरासत विश्व के लिए मार्गदर्शक रही है। उन्होंने मंच से महाकाल मंदिर, द्वारका, मथुरा, शिरडी, तिरुपति और आनंदपुर साहिब जैसे धार्मिक स्थलों का उल्लेख करते हुए कहा कि भक्ति और आध्यात्मिक चेतना ही समाज को जोड़ने का सबसे बड़ा माध्यम है।
सीएम ने कहा कि भगवान कृष्ण ने कंस का वध करने के बाद उज्जैन में शिक्षा, विद्या और 64 कलाओं का प्रसार किया। यही उज्जैन और अवंतिका की पहचान है। भौतिक विकास चाहे जितना हो, लेकिन आत्मा का विकास केवल भारत की आध्यात्मिक धरा पर ही संभव है।
उन्होंने कहा कि देश की सीमाएं भौगोलिक रूप से बदल सकती हैं, लेकिन हमारी आध्यात्मिक सीमाएं अनंत हैं। गुरु नानक की यात्राओं से लेकर अफगानिस्तान के बौद्ध स्तूपों तक और 51 शक्तिपीठों की परंपरा तक, भारतीय संस्कृति की एकता हमेशा कायम रही है।
महाकाल मंदिर का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि लगभग 1000 बीघा क्षेत्र में फैला महाकाल लोक परिसर केवल एक देवालय नहीं, बल्कि स्थापत्य, ज्ञान, इतिहास, संग्रहालय और जलकुंड जैसी अनूठी व्यवस्थाओं का केंद्र है।
सीएम ने भोजन संस्कृति का भी उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे यहां “खाना” शब्द नहीं, बल्कि “भोजन” शब्द है। भगवान को भोग लगाकर भोजन ग्रहण करना हमारी परंपरा है। यही पवित्र भावना हमें प्रकृति और परमार्थ से जोड़ती है।
उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक संस्थान केवल पूजा-अर्चना के केंद्र नहीं, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व निभाने वाले संगठन भी हैं। मेडिकल कॉलेज, रक्तदान शिविर, अस्पताल और किसान शिक्षा केंद्रों के माध्यम से ये समाज की सेवा करते हैं
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा, इंदौर में आयोजित सेकंड ग्लोबल स्पिरिचुअल टूरिज्म कॉन्क्लेव में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि तलवारों की ताकत और 200 साल की गुलामी के बावजूद भारत की संस्कृति को समाप्त नहीं किया जा सका। इसका श्रेय संत परंपरा और तीर्थाटन की उस परंपरा को जाता है जिसने भारत को विविधताओं के बीच भी एक सूत्र में बांधकर रखा।
शेखावत ने कहा कि ढाई हजार साल पहले आदि गुरु शंकराचार्य ने केरल से लेकर केदारनाथ तक पैदल यात्रा कर चारों कोनों में पीठ स्थापित किए और यह सिद्ध किया कि “भारत एक है, भारत श्रेष्ठ है।” इसी तरह गुरु नानक देव ने 24 वर्षों में 28 हजार किलोमीटर पैदल यात्रा कर फारस तक जाकर भारत की संस्कृति और सभ्यता का संदेश दिया।
उन्होंने कहा कि अंग्रेजों और कुछ इतिहासकारों ने यह साबित करने की कोशिश की कि भारत कभी एक राष्ट्र नहीं रहा, लेकिन कुंभ जैसे आयोजन इसका जीवंत प्रमाण हैं कि भारत सदियों से एक आस्था और एकता की भूमि है। प्रयागराज महाकुंभ से लेकर उज्जैन और हरिद्वार तक, हर बार तीर्थाटन ने भारत की अखंडता को सशक्त किया है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि आज भारत में घरेलू पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। पिछले दस वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आर्थिक प्रगति और गरीबों के जीवन स्तर में सुधार से लोगों के पास धार्मिक यात्रा करने की क्षमता बढ़ी है। इसी वजह से उज्जैन महाकाल जैसे स्थलों पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 10 साल में कई गुना बढ़ गई है।
शेखावत ने कहा कि भारत में 250 करोड़ से ज्यादा घरेलू यात्राएं हुईं, जो किसी भी देश की तुलना में सबसे अधिक हैं। उन्होंने कहा कि “हमारे यहां केवल स्पिरिचुअल टूरिज्म ही नहीं, बल्कि नेचर, एडवेंचर, वॉटर और हेरिटेज टूरिज्म का भी अपार स्कोप है। मध्य प्रदेश इसका बेहतरीन उदाहरण है जिसे ‘हार्ट ऑफ इनक्रेडिबल इंडिया’ कहा जा सकता है।”
उन्होंने स्वीकार किया कि ओवर-टूरिज्म और इंफ्रास्ट्रक्चर पर दबाव जैसी चुनौतियां सामने हैं, लेकिन प्रधानमंत्री के ‘विरासत भी और विकास भी’ मंत्र के साथ भारत सांस्कृतिक पुनर्जागरण के दौर से गुजर रहा है।
अंत में उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत की सांस्कृतिक शक्ति और आध्यात्मिक विरासत ही हमारी सबसे बड़ी सॉफ्ट पावर बनेगी और यही हमें विश्व नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ाएगी।
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