Morgaon Ganpati Temple: महाराष्ट्र के पुणे जिले में एक छोटा-सा गांव है मोरेगांव. यही पर स्थित है अष्टविनायक यात्रा का पहला और सबसे महत्वपूर्ण मंदिर, मोरेश्वर गणपति. कहते हैं यहां विराजमान गणेश जी की मूर्ति किसी ने बनाई नहीं, बल्कि यह खुद धरती से प्रकट हुई थी. इसीलिए इसे ‘स्वयंभू गणपति’ कहा जाता है.
इस मंदिर की एक खासियत यह भी है कि यहां की गणेश प्रतिमा हमेशा सिंदूर से ढकी रहती है और भक्त इन्हें ‘मयूरश्वर’ नाम से भी पुकारते हैं. गांव का नाम मोरेगांव इसलिए पड़ा क्योंकि पुराने समय में यहां बहुत सारे मोर पाए जाते थे. आज भी मंदिर के आसपास मोर दिखाई दे जाते हैं, जो यहां की शांति और आस्था का अहसास कराते हैं.
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Morgaon Ganpati Temple
लोगों का मानना है कि मोरेश्वर गणपति के दर्शन से जीवन की बड़ी से बड़ी रुकावटें भी खत्म हो जाती हैं. एक स्थानीय बुजुर्ग भक्त का कहना है, मैं जब भी किसी परेशानी में होता हूं, यहां आकर प्रार्थना करता हूं और सच मानिए, गणपति बप्पा हमेशा रास्ता निकाल देते हैं.
Morgaon Ganpati Temple. मंदिर का निर्माण करीब 400 साल पहले हुआ था और पत्थरों से बने इस मंदिर की मजबूती आज भी देखने लायक है. चार दरवाजों वाला यह मंदिर जीवन की चार दिशाओं का प्रतीक माना जाता है. खास बात यह है कि अष्टविनायक की यात्रा यहीं से शुरू होती है और यहीं आकर पूरी भी होती है.
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कैसे पहुंचे (Morgaon Ganpati Temple)
मोरेश्वर गणेश मंदिर पुणे से करीब 65 किलोमीटर दूर है. पुणे से सीधी बस और टैक्सी आसानी से मिल जाती है. निकटतम रेलवे स्टेशन और एयरपोर्ट भी पुणे में ही है. सड़क मार्ग से यहां जाना सबसे आसान और सुविधाजनक है.
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