हेमंत शर्मा, इंदौर। इंदौर नगर निगम के तीन पार्षदों की पार्षदी पर खतरा मंडराने लगा है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने राज्य शासन को आदेश दिया है कि वह दो माह के भीतर इन पार्षदों की अयोग्यता पर निर्णय ले। तीनों ने कांग्रेस से जीता चुनाव था और बाद में भाजपा ज्वाइन की थी।
इंदौर के वार्ड 17 से शिवम यादव, वार्ड 15 से ममता सुभाष सुनेर और वार्ड 23 से विनीता धर्मेंद्र मौर्य ने 2022 के निगम चुनाव कांग्रेस से लड़कर जीत हासिल की थी। लेकिन जीत के बाद तीनों ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी में तीनों को भाजपा की सदस्यता दिलाई गई थी।
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दल-बदल से नाराज कांग्रेस पार्षद व महिला कांग्रेस की इंदौर जिला अध्यक्ष सोनिला मिमरोट (वार्ड 45) ने 20 मई 2024 को राज्य शासन को आवेदन देकर मांग की थी कि तीनों पार्षदों को नगर निगम अधिनियम 1956 की धारा 17(2) के तहत अयोग्य घोषित किया जाए और धारा 17(3) के अनुसार पुनः चुनाव कराया जाए।
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राज्य शासन की ओर से कोई कार्रवाई न किए जाने पर सोनिला मिमरोट ने अधिवक्ता जयेश गुरनानी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने 26 अगस्त 2025 को आदेश जारी करते हुए शासन को निर्देश दिया कि सभी पक्षों को सुनवाई का अवसर देकर दो माह में फैसला सुनाए। इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता जयेश गुरनानी और राज्य शासन की ओर से डॉ. अमित भाटिया ने पैरवी की।
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