एक असफल प्रयोग के बाद अब निगम एक और करोड़ों की योजना शुरू कर रहा है. सवाल यह है कि जनता के टैक्स के पैसों से बार-बार होने वाले ऐसे प्रयोग आखिर कब सफल साबित होंगे?
वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। बिलासपुर में स्मार्ट सिटी लिमिटेड की हाईटेक योजना पूरी तरह फेल हो गई. घरों में क्यूआर कोड लगाने की योजना पर करीब 9 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए, लेकिन नतीजा सिफर रहा. अब निगम ने घरों में डिजिटल नेम प्लेट लगाने की एक नई पहल की है. इसके लिए करीब 8 करोड़ 59 लाख रुपए का बजट तय किया गया है.
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बिलासपुर में ऑनलाइन टैक्स और अन्य बिलों की वसूली के लिए 2019 में शहर के 98 हजार घरों में क्यूआर कोड लगाने का काम शुरू हुआ था. कंपनी को करोड़ों का टेंडर दिया गया, लेकिन 12 हजार घरों में ही कोड लग पाए और उसके बाद प्रोजेक्ट अचानक बंद हो गया. न तो मोबाइल से स्कैनिंग हो पाई, न ही टैक्स भुगतान में आसानी मिल सकी.
निगम हर घर के बाहर डिजिटल नेम प्लेट लगाएगा, जिसमें मकान मालिक का नाम और यूनिक आईडी दर्ज होगी. इस व्यवस्था से ऑनलाइन टैक्स कलेक्शन और भी आसान बनाने का दावा किया जा रहा है. निगम कमिश्नर का कहना है, नई डिजिटल नेम प्लेट व्यवस्था से डेढ़ लाख से ज्यादा घरों को नई पहचान मिलेगी. लोग आसानी से ऑनलाइन टैक्स जमा कर पाएंगे.
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