प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को 2026 में भारत की ओर से आयोजित किए जाने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया। पीएम मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन के लिए चीन गए हैं और रविवार को जिनपिंग से मिले। विदेश मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग ने निमंत्रण के लिए पीएम मोदी का आभार जताया और भारत के ब्रिक्स अध्यक्षता को चीन का समर्थन देने की पेशकश की। पीएम मोदी ने एससीओ के 25वें राष्ट्राध्यक्षों की बैठक के दौरान शी जिनपिंग से मुलाकात की और सीमा मुद्दे सहित कई अहम विषयों पर चर्चा हुई।
पीएम मोदी शनिवार को एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए चीन पहुंचे हुए हैं, जो 7 साल में उनकी पहली चीन यात्रा है। रविवार को प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में अपने उद्घाटन भाषण में पीएम मोदी ने कहा कि भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय सहयोग से करोड़ों लोगों का कल्याण जुड़ा हुआ है। शी जिनपिंग ने भी इसी तरह की भावनाओं को दोहराया और कहा कि हाथी और ड्रैगन का एक साथ चलना खास है। चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, पीएम मोदी और शी जिनपिंग ने पुष्टि की कि दोनों देश विकास के साझेदार हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं। साथ ही, उनके मतभेदों को विवाद में नहीं बदलना चाहिए।
पीएम मोदी ने पोस्ट कर लिखा – सार्थक हुई बैठक
गौरतलब है कि, पीएम मोदी ने जिंगपिंग के साथ हुई इस बैठक के बाद एक सोशल मीडिया पोस्ट जारी किया है, अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा –
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान तियानजिन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ एक सार्थक बैठक हुई। हमने कज़ान में हुई अपनी पिछली बैठक के बाद से भारत-चीन संबंधों में आई सकारात्मक प्रगति की समीक्षा की। हम सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखने के महत्व पर सहमत हुए और आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता पर आधारित सहयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
MEA ने अपनी विज्ञप्ति में क्या कहा
विदेश मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और चीन दोनों रणनीतिक स्वायत्तता का पालन करते हैं और उनके संबंधों को किसी तीसरे देश के दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए। विज्ञप्ति में कहा गया, ‘दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों व चुनौतियों जैसे आतंकवाद और बहुपक्षीय मंचों पर समान आधार का विस्तार करना आवश्यक माना।’ भारत और चीन को हाथी व ड्रैगन के रूप में पेश करते हुए जिनपिंग ने बैठक में कहा कि दोनों देशों का एक साथ आना और अच्छे पड़ोसी बनना महत्वपूर्ण है।
चीनी विदेश मंत्रालय ने जारी किया बयान
इस बैठक को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी किया है. विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान के अनुसार, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि पिछले साल कजान में हुई बैठक ने भारत-चीन संबंधों को नए सिरे से शुरू किया और तब से द्विपक्षीय सहयोग में लगातार प्रगति हो रही है. उन्होंने कहा कि चीन और भारत दो प्राचीन सभ्यताएं और दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश हैं, जिनकी जिम्मेदारी है कि वे अपने लोगों का भला करें, विकासशील देशों की एकता को मजबूत करें और मानव समाज की प्रगति में योगदान दें.
‘रिश्तों पर हावी न हो सीमा विवाद’
बयान के अनुसार, शी जिनपिंग ने 75 साल पूरे होने पर कहा कि दोनों देशों को रिश्तों को दीर्घकालिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से देखना चाहिए. उन्होंने चार अहम बिंदु रखे-
- -रणनीतिक संवाद बढ़ाकर आपसी विश्वास गहरा करना,
- -सहयोग और आदान-प्रदान बढ़ाकर ‘विन-विन’ नतीजे हासिल करना,
- -एक-दूसरे की चिंताओं का सम्मान करते हुए शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को आगे बढ़ाना और सीमा विवाद को पूरे रिश्तों पर हावी न होने देना
- -बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत कर एशिया और दुनिया में शांति और समृद्धि के लिए मिलकर काम करना.
पुतिन को मिलेगी नई ताकत
यह शिखर सम्मेलन रूसी राष्ट्रपति पुतिन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सुर्खियों में ला दिया है। क्योंकि ट्रंप के साथ उनकी अलास्का शिखर सम्मेलन के ठीक दो हफ़्ते बाद यह सम्मेलन हो रहा है। रूस यूक्रेन में अपने हमले को रोकने के अंतरराष्ट्रीय दबाव को भी नजरअंदाज कर रहा है। इस हफ़्ते की शुरुआत में रूसी सेना ने अपने पड़ोसी पर पूर्ण आक्रमण के बाद दूसरा सबसे बड़ा हवाई हमला किया था।
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