अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को लेकर बयान दिया है. ट्रंप ने इस बार कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच रिश्‍ते एक तरफा ही रहे हैं. इसके साथ ही उन्‍होंने यह दावा भी किया है भारत ने टैरिफ में कटौती की पेशकश की थी लेकिन अब इसमें देर हो रही है. उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब एक ही दिन पहले यानी रविवार को चीन के शहर तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के व्‍लादिमीर पुतिन के साथ एक खास मुलाकात की है. ट्रंप की मानें तो अमेरिका तो भारत के साथ बहुत कम बिजनेस करता है लेकिन भारत का ट्रेड अमेरिका के साथ बहुत ज्‍यादा है.

‘हमसे वसूले इतने ज्‍यादा टैरिफ’

ट्रंप ने सोमवार को भारत-अमेरिका व्यापार को ‘विनाशकारी’ और एकतरफा बताया. उन्‍होंने दावा किया कि भारत ने अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ जीरो करने की पेशकश की है. ट्रंप की मानें तो अब इसके लिए ‘देर हो रही है’. ट्रंप का टैरिफ वाला यह दावा कितना सच है इस बारे में फिलहाल कुछ भी कहना नामुमकिन है क्‍योंकि भारत सरकार की तरफ इस तरह की कोई भी सूचना नहीं दी गई है. भारत की तरफ से अभी तक इस नए बयान पर कोई टिप्‍पणी भी नहीं की गई है.

भारत ने वसूले ऊंचे टैरिफ

ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट ट्रूथ सोशल पर एक लंबी-चौड़ी पोस्‍ट में लिखा, ‘बहुत कम लोग यह समझते हैं कि हम भारत के साथ बहुत कम व्यापार करते हैं, लेकिन वे हमारे साथ बहुत ज्‍यादा व्यापार करते हैं. इसका कारण यह है कि भारत ने अब तक हमसे इतने ऊंचे टैरिफ वसूले हैं कि हमारे व्यवसाय भारत में सामान नहीं बेच पा रहे हैं. यह पूरी तरह से एकतरफा आपदा रही है!’

रूस से तेल खरीदता है भारत

ट्रंप ने कहा कि भारत अपना ज्‍यादातर तेल और मिलिट्री उपकरण रूस से खरीदता है, अमेरिका से बहुत कम खरीदता है. उन्होंने फिर से कच्चे तेल का जिक्र किया है. रूस से कच्‍चे तेल आयात की वजह से ही ट्रंप ने ज्‍यादातर भारतीय उत्पादों पर लगाए गए कुल 50 फीसदी टैरिफ में से 25 फीसदी टैरिफ जुर्माने के तौर पर तय किया है. उन्होंने कहा कि वह ‘लोगों को सोचने के लिए कुछ आसान तथ्य पेश कर रहे हैं. ट्रंप के इंपोर्ट ड्यूटी वाले दावे पर भारत की तरफ से अभी तक कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.

50 फीसदी टैरिफ के बाद रिश्तों में खटास

ट्रंप के द्वारा भारत पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ के बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई है. इस खटास के पीछे रूस है. दरअसल, अमेरिका नहीं चाहता है कि भारत रूस से तेल खरीदे. हाल ही में उसने इसको लेकर आपत्ति जताई थी. अमेरिका ने कहा था कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीद रहा है और इससे बड़ा मुनाफा कमा रहा है. इस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी.

भारत ने कहा कि रूस से हमारी खरीद वैश्विक बाजार की स्थिति पर आधारित है. रूसी तेल खरीदकर हमने वैश्विक तेल कीमतों को स्थिर रखने में मदद की है. अमेरिका और यूरोपीय देशों ने खुद हमारे इस कदम की सराहना की थी. भारत ने कहा कि वह रूसी तेल खरीदना जारी रखेगा.

भारत-रूस-चीन के गठजोड़ से घबरा गए ट्रंप?

ट्रंप का ये बयान ऐसे समय में आया है, जब चीन के तियानजिन में भारत-रूस और चीन का गठजोड़ दिखा. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ट्रंप भारत-रूस और चीन के गठजोड़ से घबरा गए? SCO और ब्रिक्स की मजबूती से ट्रंप क्या टेंशन में आ गए क्योंकि तियानजिन में पीएम मोदी, रूसी राष्ट्रपति पुतिन और शी जिनपिंग के बीच जबरदस्त डिप्लोमेसी दिखी.

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