दिल्ली सरकार ने इस बार गणेश चतुर्थी और दुर्गा पूजा के मौके पर मूर्ति विसर्जन को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए विशेष तैयारी की है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने सोमवार को सभी 11 जिलों के जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस कर व्यवस्थाओं की समीक्षा की। सरकार का जोर इस बार मूर्ति विसर्जन के दौरान प्रदूषण रोकने और यमुना नदी सहित अन्य जलस्रोतों को सुरक्षित रखने पर है। इसके लिए जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे कृत्रिम तालाबों, टैंकों और अन्य वैकल्पिक व्यवस्थाओं को पहले से तैयार रखें।
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बैठक में अधिकारियों ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा और यमुना नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए राजधानी भर में 80 से अधिक कृत्रिम तालाब बनाए जा रहे हैं। इन्हीं तालाबों में मूर्तियों का विसर्जन किया जाएगा, ताकि यमुना को गंदगी और रसायनों से बचाया जा सके। सरकार का कहना है कि इस कदम से एक ओर जहां श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी, वहीं दूसरी ओर नदी और पर्यावरण को भी संरक्षित किया जा सकेगा।
आस्था के साथ जिम्मेदारी जुड़ने से यमुना साफ
मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में यह व्यवस्था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित दिल्ली” और “स्वच्छ पर्यावरण” विजन के अनुरूप है। उन्होंने कहा, “जब आस्था के साथ जिम्मेदारी जुड़ती है, तो यमुना भी साफ रहती है और हमारे त्योहार जीवंत बन जाते हैं।”
दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में तालाबों की संख्या तय कर दी गई है—
पश्चिम दिल्ली: 20 तालाब
पूर्वी दिल्ली: 16 तालाब
उत्तर-पश्चिम दिल्ली: 12 तालाब
दक्षिण-पूर्व दिल्ली: 9 तालाब
दक्षिण-पश्चिम दिल्ली: 7 तालाब
शाहदरा, दक्षिण और उत्तर-पूर्व दिल्ली: 5-5 तालाब
मध्य दिल्ली: 4 तालाब
उत्तर दिल्ली: 1 तालाब
विसर्जन स्थल पर एंबुलेंस और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध
विशेष बात यह है कि इन तालाबों का पानी बाद में सड़क की धूल कम करने और पार्कों की सिंचाई में इस्तेमाल किया जाएगा, यानी एक बूंद भी व्यर्थ नहीं जाएगी। हर विसर्जन स्थल पर एंबुलेंस और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
वहीं, दिल्ली पुलिस को ट्रैफिक प्रबंधन और भीड़ नियंत्रण की जिम्मेदारी दी गई है। विसर्जन समितियों से अपील की गई है कि वे पहले से अपने जुलूस मार्ग की जानकारी पुलिस को दें ताकि कहीं अव्यवस्था न हो।
स्वच्छ यमुना और बेहतर पर्यावरण के लिए बड़ा प्रयास
गौरतलब है कि हर साल गणेश चतुर्थी और दुर्गा पूजा पर हजारों मूर्तियां यमुना में विसर्जित की जाती थीं, जिससे नदी का पानी बेहद प्रदूषित हो जाता था। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) लंबे समय से ऐसे विकल्प तलाशने पर जोर दे रहे थे।
अब सरकार से बनाए जा रहे कृत्रिम तालाब इसी दिशा में एक बड़ा कदम हैं। पर्यावरण मंत्री सिरसा ने कहा कि “यह पहल सिर्फ एक त्योहार की नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ यमुना और बेहतर पर्यावरण की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास है।” उन्होंने दिल्लीवासियों से अपील की कि वे उत्सव मनाते हुए पर्यावरण बचाने की इस मुहिम में सहयोग दें।
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