चंडीगढ़. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके बेटे रणइंदर सिंह को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने बुधवार को उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को उनकी कथित विदेशी संपत्तियों और स्विस बैंक खातों से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों की जांच की अनुमति दी गई थी। हाई कोर्ट ने ईडी को फ्रांस द्वारा भारत के आयकर विभाग को दी गई जानकारी की जांच करने की मंजूरी दे दी है।

जस्टिस त्रिभुवन दहिया ने अपने 16 पन्नों के आदेश में कहा कि ईडी को जांच के लिए रिकॉर्ड देखने की अनुमति देने पर कोई कानूनी रोक नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह जांच भारत-फ्रांस डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (डीटीएए) का उल्लंघन नहीं करती। अदालत ने यह भी जोर दिया कि एक कानूनी प्राधिकरण के रूप में ईडी को अपराधों की जांच के दौरान न्यायिक रिकॉर्ड की जांच करने का अधिकार है।

हाई कोर्ट ने ईडी को शिकायत से संबंधित रिकॉर्ड की जांच करने की अनुमति दी, लेकिन यह भी निर्देश दिया कि बिना उचित कानूनी अनुमति के इस जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। जस्टिस दहिया ने तीन आपस में जुड़ी याचिकाओं पर फैसला सुनाया, जिनमें से एक अमरिंदर सिंह और दो रणइंदर सिंह ने दायर की थीं, क्योंकि इनमें समान कानूनी सवाल उठाए गए थे।


यह मामला 2016 में आयकर विभाग की शिकायतों से शुरू हुआ था, जिसमें अमरिंदर और रणइंदर पर टैक्स चोरी और विदेशी संपत्तियों को छिपाने का आरोप लगाया गया था। शिकायत में आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 277 और भारतीय दंड संहिता की गलत जानकारी देने व झूठी गवाही से संबंधित धाराओं का उल्लेख किया गया था।


आयकर विभाग की शिकायत का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने कहा, “विभाग को अधिकृत चैनलों के माध्यम से विदेशी अधिकारियों से ठोस जानकारी मिली थी कि आरोपी विदेशी व्यापारिक संस्थाओं द्वारा रखी और नियंत्रित विदेशी संपत्तियों के लाभार्थी हैं, जिनमें स्विट्जरलैंड के जेनेवा में स्थित एचएसबीसी प्राइवेट बैंक के खाते शामिल हैं।”