दिल्ली बार एसोसिएशन ने दिल्ली पुलिस द्वारा अदालतों में सबूत को डिजिटल माध्यम से पेश करने के प्रस्ताव की कड़ी निंदा की है। एसोसिएशन ने इसके विरोध में 8 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है। दिल्ली की जिला बार एसोसिएशन की कोऑर्डिनेशन कमेटी ने आपात बैठक बुलाकर यह निर्णय लिया कि वकील सोमवार से अदालतों की कार्यवाही का हिस्सा नहीं बनेंगे।
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गौरतलब है कि वकील इससे पहले भी 22 अगस्त को हड़ताल पर चले गए थे। हालांकि, 28 अगस्त को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के प्रतिनिधि से हुई मुलाकात के बाद इसे खत्म करने का ऐलान किया गया था। अब पुलिस की नई पहल को लेकर वकील फिर से आंदोलन के रास्ते पर हैं।
दिल्ली पुलिस आयुक्त कार्यालय द्वारा 4 सितंबर को जारी परिपत्र ने वकीलों के गुस्से को एक बार फिर भड़का दिया है। इस परिपत्र में थानों से ऑडियो-वीडियो और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के जरिए पुलिस गवाहों के परीक्षण की बात कही गई है। इसके विरोध में दिल्ली की सभी जिला अदालतों की बार एसोसिएशन की समन्वय समिति ने आपात बैठक बुलाई। बैठक में कहा गया कि यह कदम सीधे-सीधे वकीलों को गुमराह करने और अदालत की प्रक्रिया को कमजोर करने वाला है। समिति ने बताया कि 2 सितंबर को बार काउंसिल और जिला बार एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी, और उन्हें उपराज्यपाल द्वारा 13 अगस्त को जारी अधिसूचना के खिलाफ वकीलों की नाराजगी से अवगत कराया था। इस अधिसूचना में दिल्ली के थानों को पुलिस अधिकारियों के साक्ष्य दर्ज करने का स्थान घोषित किया गया था। बैठक में कहा गया कि विचार-विमर्श के बाद केंद्रीय गृह मंत्री ने स्पष्ट आश्वासन दिया था कि एक आधिकारिक पत्र या परिपत्र जारी किया जाएगा, जिसमें यह साफ किया जाएगा कि पुलिस अधिकारियों का परीक्षण थानों से नहीं होगा। बार एसोसिएशन का आरोप है कि पुलिस आयुक्त का परिपत्र गृह मंत्री के आश्वासन के बिल्कुल विपरीत है और यह न्यायिक प्रक्रिया के साथ समझौता है।
समिति के बयान में कहा गया है कि पत्र में गवाहों को ‘औपचारिक’ और ‘महत्वपूर्ण’ श्रेणियों में बांटा गया है और उनकी उपस्थिति को लेकर विवेकाधिकार का उल्लेख किया गया है। जबकि वास्तविक स्थिति यह है कि गवाहों की उपस्थिति का अधिकार केवल संबंधित अदालतों के पास है, न कि पुलिस के पास। समिति ने स्पष्ट किया कि बैठक में इन पहलुओं पर कभी कोई चर्चा नहीं हुई थी। इस बयान पर समिति के अध्यक्ष वी.के. सिंह और सचिव अनिल कुमार बसोया ने हस्ताक्षर किए हैं। समिति का कहना है कि पुलिस आयुक्त का यह कदम न्यायिक प्रक्रिया के खिलाफ है और इसी कारण वकीलों ने 8 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया है।
समिति के बयान में कहा गया है कि यह अधिसूचना न केवल स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई की अवधारणा के खिलाफ है, बल्कि यह जनविरोधी भी है और अभियुक्त के बचाव के अधिकार को कमजोर करती है। वकीलों ने साफ किया कि वे अदालतों की कार्यवाही से पूरी तरह अनुपस्थित रहेंगे और जब तक अधिसूचना वापस नहीं ली जाती, आंदोलन जारी रहेगा।
दरअसल, एलजी ने 13 अगस्त को अधिसूचना जारी की थी, जिसके बाद दिल्ली के वकील हड़ताल पर चले गए थे। यह हड़ताल 22 अगस्त से शुरू हुई थी और 28 अगस्त को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के प्रतिनिधि से बैठक और दिल्ली पुलिस आयुक्त के बयान के बाद खत्म की गई थी। उस समय स्पष्ट किया गया था कि सभी हितधारकों की राय लेने के बाद ही अधिसूचना लागू होगी।
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