ईद मिलादुन्नबी नबी क्यों है खास: लेकिन इसमें नहीं पढ़ी जाती नमाज, जानिए क्यों?

ईद, वो त्यौहार जिसे हर मुसलमान बड़े जोरो शोरों से मनाता है और चाहता है कि हर दिन उसका ईद वाला हो.

लेकिन इस्लाम के मुताबिक केवल दो ईदें मुसलमानों को मनाने का हुक्म है और वो है ईद-उल-फितर और ईद-उल-अजहा. यानी मीठी ईद और बकरी ईद.

इसके अलावा इस्लाम में शुक्रवार यानी जुम्मे के दिन को भी ईद माना जाता है. लेकिन आजकल चर्चा में जो है वो ईद मिलादुन्नबी है

इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्म दिवस को ईद मिलादुन्नबी के तौर पर मनाया जाता है.

लेकिन सवाल उठता है कि इसे ईद क्यों कहते हैं और अगर ईद कहते हैं तो फिर इसकी नमाज क्यों नहीं होती है., चलिए जानते है..

इस ईद का ईजाद हजरत मोहम्मद के इंतकाल के बाद हुआ है. बाकी की दो ईदें हजरत मोहम्मद के दौर से ही मनाई जाती रही हैं

वहीं बरेलवी और सुन्नी समूह के लोग इसे खुशी वाला दिन कहते हैं इसलिए इसके नाम के आगे ईद शब्द लगाया जाता है.

क्यों नहीं होती इस दिन ईद की नमाज????

पैगंबर की शिक्षा केवल दो ईदों में नमाज पढ़ने की रही है और ईद मिलाद उनकी वफात के बाद मनाया जाने लगा है, इसलिए इसे लेकर किसी नमाज का कोई हु्क्म नहीं है.