रायपुर. छत्तीसगढ़ के राजभवन में इस बार शिक्षक दिवस पर आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह चर्चा का विषय बन गया है. समारोह में आमंत्रित शिक्षकों को सम्मानित करने के बजाय अपमानित करने जैसा माहौल बनाया गया. यह पहला अवसर था जब सम्मानित होने वाले शिक्षकों पर ड्रेस कोड लागू किया गया. शिक्षकों का कहना है कि सम्मान समारोह में इस तरह की शर्त लगाकर उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाई गई.
शिक्षक प्रतिनिधियों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इस सम्मान समारोह ने उनका मनोबल बढ़ाने की जगह उन्हें असहज कर दिया. कई शिक्षकों ने इसे सम्मान की आड़ में अपमान बताया है. सम्मान समारोह में शामिल होने के एक दिन पहले सम्मानित होने वाले शिक्षकों को बुलाकर रिहर्सल कराया गया था. शिक्षकों ने बताया कि उन्हें रिहर्सल के दौरान मंच पर क्रमवार बुलाया गया था, लेकिन सम्मान देने के दौरान समूह में बुलाया गया.
ड्रेस कोड की अनिवार्यता
स्कूल शिक्षा विभाग ने सम्मानित होने वाले शिक्षकों के लिए ड्रेस कोड लागू किया था. कहा जा रहा है कि ड्रेस के लिए किसी तरह की अतिरिक्त राशि नहीं दी गई थी. इसका भार शिक्षकों की जेब पर पड़ा. पुरुषों के लिए नीले रंग का ब्लेजर और सफेद शर्ट तय किया गया था, वहीं महिला शिक्षकों के लिए एक ही रंग की बॉर्डर वाली साड़ी तय की गई थी.
स्मृति चिह्न ख़ुद लेकर मंच पर आए शिक्षक
सम्मान समारोह के दौरान मंच पर छत्तीसगढ़ की चार विभूतियों के नाम पर दिए जाने वाले सम्मान को छोड़ दिया जाए तो बाकी शिक्षकों को पाँच-पाँच के समूह में मंच पर बुलाकर सम्मानित किया गया. हैरानी की बात यह रही कि सम्मानित होने वाले शिक्षकों को सम्मान पत्र और स्मृति चिह्न पहले ही वितरित कर दिया गया था. शिक्षक नाम पुकारे जाने पर ‘कथित सम्मान’ ख़ुद ही लेकर मंच पर आते-जाते नजर आए. शिक्षकों के गले में शाल भी पहले से ही टंगे दिखे. मंच पर मौजूद सम्मानियों ने महज़ तस्वीर खिंचाने भर की जहमत उठाई.
कई तरह की पाबंदियां भी लगी
सम्मान समारोह के लिए आमंत्रित शिक्षकों के लिए यह सम्मान उन्हें कचोटने वाला नजर आया. दरअसल शिक्षकों पर कई तरह की पाबंदियां थोप दी गई थी. शिक्षकों को मोबाइल फ़ोन के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई. तस्वीर खींचने की भी मनाही थी. शिक्षकों के ठहरने की व्यवस्था हॉस्टल में कराई गई थी. समारोह में टाई पहनकर आने वाले शिक्षकों का टाई उतरवा लिया गया.
शिक्षक संघ में भारी नाराजगी
राजभवन में आयोजित इस तरह के सम्मान समारोह को लेकर सम्मानित शिक्षकों और संघ में भारी नाराजगी है. शालेय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष वीरेन्द्र दुबे का कहना है कि राजभवन में इस तरह का सम्मान समारोह पहले कभी नहीं हुआ. शिक्षकों पर ड्रेस कोड की अनिवार्यता डालना एक तरह वित्तीय बोझ डालना है. शिक्षकों के लिए शालीन पहनावा होना चाहिए, लेकिन सूट -बूट की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए.
यही नहीं शिक्षकों के लिए सम्मान उनकी जीवन भर की असल पूंजी होती है. राज्यपाल के हाथों सम्मानित होने का गौरव एक यादगार पल होता है. लेकिन इस पल को समूहों में बांट देना मुझे लगता है कि यह सही नहीं है. पहले कभी इस तरह की कोई परपंरा नहीं रही है. राष्ट्रपति शिक्षक सम्मान हो या पद्म सम्मान समारोह ड्रेस कोड की अनिवार्यता नहीं रहती और न ही समूहों में सम्मान दिया जाता है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल, मुख्यमंत्री, स्कूल शिक्षा मंत्री को इस विषय पर तत्काल संज्ञान लेना चाहिए. ताकि आने वाले वर्ष इस तरह का अव्यवहारिक निर्णय या कृत्य न हो.
लल्लूराम.कॉम ने इस मामले में स्कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेसी और डीपीआई ऋतुराज रघुवंशी से मोबाइल फ़ोन पर संपर्क कर उनका पक्ष लेना चाहा लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया.