फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने गुरुवार को दावा किया है कि 28 देश युद्ध के बाद यूक्रेन को सुरक्षा देने के लिए तैयार हो गये हैं। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है, इसमें जमीनी, नौसैनिक और एयरफोर्स के जवान शामिल होंगे। फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने इसे ‘रीएश्योरेंस फोर्स’ का नाम दिया है। मैक्रों के इस बयान के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को साफ चेतावनी दी कि अगर किसी भी विदेशी सैनिक को शांति समझौते से पहले यूक्रेन में तैनात किया जाता है, तो उन्हें रूस की सेना ‘वैध निशाना’ मानेगी। पुतिन ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब यूरोपीय नेताओं ने यूक्रेन के लिए संभावित शांति मिशन को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।

व्लादिवोस्तोक में आयोजित ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में पुतिन ने कहा कि अगर यूक्रेन में कोई सैनिक आता है, खासकर अभी जब लड़ाई जारी है, तो हम मानेंगे कि वे वैध निशाने हैं। उन्होंने शांति बलों की तैनाती के विचार को खारिज करते हुए कहा कि रूस किसी भी अंतिम शांति समझौते का पालन करेगा, लेकिन फिलहाल लड़ाई के बीच विदेशी सैनिकों की मौजूदगी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

फ्रांस के राष्ट्रपति का प्रस्ताव

पुतिन की यह प्रतिक्रिया फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के उस बयान के बाद आई, जिसमें उन्होंने कहा था कि यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 26 देशों ने सैनिक भेजने की प्रतिबद्धता जताई है। पेरिस में 35 देशों के गठबंधन की बैठक के बाद मैक्रों ने कहा कि ये सैनिक किसी भी युद्धविराम या शांति समझौते के बाद ‘रिअश्योरेंस फोर्स’ के तौर पर तैनात होंगे।

रूस की असहमति

रूस बार-बार कह चुका है कि नाटो या किसी भी तरह के अंतरराष्ट्रीय शांति बल की यूक्रेन में मौजूदगी अस्वीकार्य है। पुतिन ने जोर देकर कहा कि रूस और यूक्रेन दोनों की सुरक्षा गारंटी जरूरी हैं। उन्होंने इशारा किया कि शांति समझौते के बाद भी रूस अपनी सुरक्षा को लेकर किसी भी तरह की चूक नहीं करेगा।

यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देने की तैयारी में फ्रांस

पेरिस में हुई इस अहम बैठक में 35 देशों के नेताओं ने हिस्सा लिया था, जिनमें ज्यादातर यूरोपीय राष्ट्र थे। कई नेताओं ने वर्चुअली शामिल होकर यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी देने के फैसले को समर्थन दिया। यूरोपीय नेताओं ने साफ कहा कि अब रूस को युद्ध समाप्त करने की दिशा में काम करना चाहिए। जर्मन सरकार ने संकेत दिए कि यदि मास्को युद्ध को और लंबा खींचता है, तो यूरोपीय संघ रूस पर नए और कड़े आर्थिक प्रतिबंध लागू कर सकता है। बैठक से पहले ही अमेरिकी शांति वार्ता दूत स्टीव विटकॉफ भी यूरोपीय नेताओं और जेलेंस्की से मिले थे। इस दौरान दीर्घकालिक सैन्य सहायता और आर्थिक सहयोग को लेकर ब्लूप्रिंट तैयार किया गया।

दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय संघ पर प्रेशर डाला है कि वो अमेरिका के साथ मिलकर रूस से तेल और गैस का आयात बंद करें। ट्रंप ने कहा कि रूस की “वॉर मशीन” को रोकने का सबसे बड़ा हथियार आर्थिक दबाव ही है। इस बीच, यूरोपीय संघ ने पहले ही यह लक्ष्य तय कर रखा है कि 2027 तक रूस से तेल और गैस का आयात पूरी तरह रोक दिया जाएगा। वहीं, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने कहा है कि यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देने के लिए अमेरिका का साथ होना जरूरी है।

Follow the LALLURAM.COM MP channel on WhatsApp
https://whatsapp.com/channel/0029Va6fzuULSmbeNxuA9j0m