देश के कई हिस्सों में भारी बारिश ने तबाही मचा दी है। दिल्ली, पंजाब समेत कई राज्यों में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(PM Narendra Modi) जल्द ही बाढ़ प्रभावित राज्यों का दौरा करेंगे और स्थिति का जायजा लेंगे। दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरनाक स्थिति बेहद गंभीर है। यमुना नदी खतरे के निशान से करीब 2 मीटर ऊपर बह रही है। नदी का पानी उन इलाकों तक पहुंच गया है, जहां कभी इसकी आशंका तक नहीं थी। मयूर विहार और अक्षरधाम जैसे इलाके, जो यमुना से 3-4 किलोमीटर दूर हैं, अब पानी में डूबे हुए हैं। यमुना किनारे बसे निचले इलाकों में हालात और ज्यादा भयावह हैं। कई इलाकों में स्थिति इतनी खराब है कि फंसे हुए लोगों तक राहत पहुंचाने के लिए नावों का सहारा लेना पड़ रहा है। स्थानीय लोग भारी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं और प्रशासन लगातार राहत-बचाव कार्य में जुटा हुआ है। लोगों का कहना है कि दिल्ली में सरकार बदल गई, लेकिन बरसात और बाढ़ की समस्या हर साल की तरह इस बार भी उसी तरह सामने आ रही है। बुनियादी ढांचे की कमियों के कारण लोगों को लगातार परेशानी झेलनी पड़ रही है।

ड्रोन कैमरे में कैद हुआ दिल्ली का बाढ़ दृश्य
दिल्ली में यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और हालात खतरनाक होते जा रहे हैं। ड्रोन कैमरे से किए गए मुआयने में जो तस्वीरें सामने आईं, वे हैरान करने वाली हैं। यमुना नदी का खतरे का निशान 205 मीटर है। फिलहाल यमुना का जलस्तर 207 मीटर से भी ऊपर बह रहा है, यानी खतरे के निशान से पूरे 2 मीटर ऊपर। नदी का पानी अब लोहे के पुल को छू रहा है।

सिग्नेचर ब्रिज पर डरावना नजारा
ड्रोन से ली गई तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि कैसे यमुना ने दिल्ली को अपने आगोश में ले लिया है। सिग्नेचर ब्रिज के ऊपर से दिखे नज़ारे ऐसे थे जैसे पूरा शहर यमुना की लहरों में समा गया हो। कई निचले इलाके पूरी तरह जलमग्न हैं और पानी की धाराएं सड़कों तक पहुंच गई हैं।
दिल्ली सचिवालय तक पहुंचा पानी, निगमबोध घाट डूबा
दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरनाक स्तर से ऊपर बहने के कारण हालात बेहद गंभीर हो गए हैं। अब पानी दिल्ली सचिवालय तक पहुंच गया है, जहां से पूरी दिल्ली सरकार का संचालन होता है। ऐसे में बाकी शहर का हाल बयां करना मुश्किल नहीं है। सचिवालय परिसर में पानी भरने के बाद ट्रैक्टरों से पंप लगाकर पानी खींचा जा रहा है। पूरा निगमबोध घाट डूब चुका है, जिससे अंतिम संस्कार जैसी मूलभूत व्यवस्था भी बाधित हो गई है। जहांगीरपुरी में सीवर ओवरफ्लो कर रहे हैं और बैक मारने लगे हैं। दिल्ली का ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह फेल होता नज़र आ रहा है। हालात इतने खराब हैं कि कई इलाकों के लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हो गए हैं। सैकड़ों लोग अस्थायी तौर पर मंदिरों और स्कूलों में शरण ले रहे हैं।

मयूर विहार और अक्षरधाम तक पहुंचा यमुना का पानी
मयूर विहार में सरकार ने बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए राहत कैंप बनाए थे और यमुना किनारे रहने वालों को वहां शिफ्ट किया गया था। लेकिन अब समस्या यह है कि पानी इन राहत कैंपों तक पहुंच गया है। लोगों का कहना है कि प्रशासन ने इस पर विचार ही नहीं किया था कि अगर कैंप वाले इलाकों तक पानी आ गया तो फिर वे कहां जाएंगे।
मॉनेस्ट्री मार्केट में दुकानें डूबीं
दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बहने के कारण हालात बेहद भयावह हो गए हैं। नदी का पानी अब उन इलाकों में घुस चुका है जो यमुना से काफी दूरी पर स्थित हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि नदी किनारे के इलाकों में स्थिति कितनी गंभीर होगी।
रिहाइशी इलाकों में फंसे लोगों तक राहत पहुंचाने के लिए प्रशासन ने बोट (नावें) लगाई हैं। मॉनेस्ट्री मार्केट की तमाम दुकानें पानी में डूब गई हैं। नावों के जरिए लगातार लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जा रहा है। कई लोगों को उम्मीद थी कि पानी इतना ऊपर नहीं आएगा, इसलिए वे अपने घरों की छतों और ऊपरी मंज़िलों पर चले गए। फर्स्ट और सेकेंड फ्लोर पर फंसे लोगों को सरकार की ओर से खाना और जरूरी सामान पहुंचाया जा रहा है।
दिल्ली में राहत कैंपों में भरा पानी
लोगों का कहना है कि उनकी फरियादें सरकार तक नहीं पहुंच रहीं। सीवर बैकफ्लो और गंदे पानी के चलते बीमारी फैलने का खतरा मंडरा रहा है। कई परिवारों को घर छोड़कर मंदिरों और राहत कैंपों में शरण लेनी पड़ी है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर कैंपों में पहुंचे। उन्होंने वहां लोगों से बातचीत की और बाहर आकर कहा कि “सरकार के इंतजाम नाकाफी हैं।” उन्होंने राहत कार्य तेज करने पर जोर दिया। वहीं, दिल्ली के जल संसाधन मंत्री प्रवेश वर्मा ने कहा कि “कुछ इलाकों में पानी भरा है, लेकिन इनसे यह नहीं लगता कि दिल्ली डूब गई है।” उनके इस बयान पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं और सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया है। दिल्ली की जनता जहां बाढ़ और अव्यवस्था से जूझ रही है, वहीं नेताओं के बयान राजनीतिक बहस का मुद्दा बन गए हैं। सवाल यह है कि क्या बयानबाज़ी से परे जाकर राहत कार्यों को पर्याप्त गति मिल पाएगी?
पंजाब में 1900 से ज़्यादा गांव डूबे
पंजाब में भारी बारिश और नदियों के उफान से हालात बेहद खराब हो गए हैं। पूरे सूबे के 23 जिलों में बाढ़ ने तबाही मचा दी है। जानकारी के मुताबिक अब तक 1900 से ज़्यादा गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। लगभग 3 लाख 84 हज़ार लोग इस त्रासदी से जूझ रहे हैं। खेत-खलिहानों में पानी भर जाने से करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर फसल पूरी तरह तबाह हो चुकी है। किसानों की मेहनत पानी में बह गई है। हालात पर काबू पाने के लिए सेना और एनडीआरएफ की टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। अब तक 20 हज़ार से ज़्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। प्रभावित इलाकों में खाने-पीने की वस्तुएं और दवाइयां पहुंचाने का काम भी जारी है। बाढ़ का असर सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। पाकिस्तान के पंजाब में भी बाढ़ ने हाहाकार मचा रखा है। कई इलाके जलमग्न हैं और हालात बिगड़ते जा रहे हैं। इतना ही नहीं, भारत-पाकिस्तान सीमा पर लगी फेंसिंग और बीएसएफ की कई चौकियां भी पानी में डूब गई हैं, जिससे सीमा प्रबंधन पर भी असर पड़ा है। बाढ़ की इस भयावह स्थिति ने पंजाब के लाखों लोगों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। राहत कार्य जारी हैं, लेकिन तबाही का पैमाना इतना बड़ा है कि हालात को सामान्य करने में समय लग सकता है।
3.84 लाख लोग झेल रहे बाढ़ की त्रासदी
भारी बारिश और नदियों के उफान से बने हालात ने पुल और सड़कों को तहस-नहस कर दिया है। कई गांवों का संपर्क टूट गया है। लोगों के घर पानी में समा चुके हैं और रोजमर्रा की ज़रूरतों तक पहुंचना मुश्किल हो गया है। राज्य के 23 जिलों के कुल 1902 गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। बाढ़ ने करीब 3.84 लाख लोगों को प्रभावित किया है। इनमें सबसे ज़्यादा असर किसानों पर पड़ा है, जिनकी मेहनत की फसलें पानी में डूब गईं। फाजिल्का जिले में स्थिति बेहद गंभीर है। यहां एनडीआरएफ की टीमें रोजाना सैकड़ों लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल रही हैं। बाढ़ में फंसे बुजुर्गों और बीमार महिलाओं को नाव के ज़रिए अस्पताल पहुंचाया जा रहा है। अब तक हजारों लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है, लेकिन चुनौती अभी बरकरार है। ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी और खाने-पीने की वस्तुओं की भारी कमी हो गई है। राहत सामग्री पहुंचाने में दिक्कतें आ रही हैं क्योंकि सड़क मार्ग पूरी तरह से बाधित हो चुका है।
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