Nepal Gen-Z Youth Protest: नेपाल में सुबह से जारी विरोध प्रदर्शन के बाद सोशल मीडिया फिर से शुरू कर दिया गया। इस प्रदर्शन में अब तक18 लोगों की मौत हुई, जबकि 200 से ज्यादा घायल हो गए। इस प्रदर्शन की अगुआई Gen- Z यानी 18 से 30 साल के युवाओं ने की। बता दें कि, प्रदर्शनकारी इतिहास में पहली बार नेपाल की संसद की सुरक्षा में बड़ी सेंधमारी करते हुए अंदर दाखिल हो गए। इसे देखते हुए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछार की। नेपाल की सरकार ने राजधानी काठमांडू के बानेश्वर में सेना तैनात कर दिया है. स्थिति को काबू में करने के लिए सेना को फायरिंग करनी पड़ी है. हालात को देखते हुए प्रशासन ने देखते ही उपद्रवियों को गोली मारने के आदेश दे दिए थे.
सोशल मीडिया बैन से भड़का गुस्सा
प्रदर्शनकारियों के नाराजगी का तात्कालिक कारण सोशल मीडिया पर बैन था. जेन जी का कहना है कि सोशल मीडिया पर बैन लगाकर करप्शन के खिलाफ उनके आवाज को दबाना चाहती है. बता दें कि हाल ही में सरकार ने 26 सोशल मीडिया ऐप्स—फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, वॉट्सऐप, X आदि पर अचानक प्रतिबंध लगा दिया, जिससे युवाओं की अभिव्यक्ति पर अंकुश लगा. इसके साथ ऑनलाइन शिक्षा, कारोबार और हर रोज के संपर्क में बाधाएं आईं. सरकार का तर्क था कि ये प्लेटफॉर्म नेपाल में रजिस्ट्रेशन नहीं करा रहे, जबकि युवाओं के लिए ये प्लेटफार्म जीविका, करियर और संवाद की लाइफ़लाइन हैं.
नेपाल में भ्रष्टाचार और सरकारी नाकामी भी युवाओं में गहरा असंतोष पैदा कर रहे हैं. युवाओं को सरकारी फंड और नौकरियों में पारदर्शिता की कमी दिखती है, साथ ही मौजूदा आर्थिक मंदी के कारण नौकरी के अवसर घटे हैं. इन सब कारणों से Gen-Z युवा बड़े पैमाने पर सड़कों पर उतर आए, सोशल मीडिया और सड़कों पर विरोध कर रहे हैं. उनकी मांगें करप्शन का खात्मा और डिजिटल एक्सेस पर केंद्रित हैं.
चीन जैसा सेंसरशिप लागू करना चाहते थे ओली
नेपाल के PM केपी शर्मा ओली नेपाल में चीन जैसा सेंसरशिप लागू करना चाहते थे. उन्होंने चीन की तर्ज पर चलते हुए लोगों को सीमित डिजिटल आज़ादी दी और सख्त पाबंदी लागू कर दी. ओली सरकार ने चीन की तरह ही नेपाल में अचानक इंटरनेट, सोशल मीडिया पर बड़ा प्रतिबंध लगाया. आज की ग्लोबल दुनिया में ये नेपाल की युवा आबादी के लिए झटका जैसा था. उनका अभिव्यक्ति का आधार ही छीन गया. ओली ने फेसबुक, व्हाट्सएप, एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रोक लगा दिया लेकिन भ्रष्टाचार और बेरोजगारी को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए. इससे लोगों का गुस्सा भड़क उठा.
Gen-Z में कौन कौन शामिल हैं?
नेपाल में Gen-Z प्रदर्शन का नेतृत्व अधिकांश कॉलेज के छात्र, युवा एक्टिविस्ट्स और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स कर रहे थे. जिनका संगठनात्मक रूप से कोई स्पष्ट चेहरा सामने नहीं आया. आंदोलन स्वत:स्फूर्त था. काठमांडू समेत बड़े शहरों में छात्र और युवा विभिन्न समूहों में संगठित होकर विरोध कर रहे हैं.
विराटनगर, बुटवल, चितवन, पोखरा में भी प्रदर्शन
बता दें कि जेनरेशन ज़ी युवाओं के नेतृत्व में शुरू में विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण घोषित किए गए थे, लेकिन बैरिकेड्स तोड़ दिए जाने के बाद ये उग्र हो गए. रिपोर्ट के मुताबिक प्रदर्शन विराटनगर, बुटवल, चितवन, पोखरा और अन्य शहरों में भी फैल गया है. यहां युवाओं ने भ्रष्टाचार और देशव्यापी सोशल मीडिया शटडाउन के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया है.
राजशाही वापस लाने और हिन्दू राष्ट्र का दर्जा बहाल करने की भी मांग
नेपाल के पूर्व विदेश मंत्री उपेंद्र यादव ने कहा कि नेपाल में बेरोजगारी चरम पर है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर बैन लगाना लगता है. इससे स्व रोजगार वाले भी बेरोजगार हैं. सरकार को सोशल मीडिया पर बैन का आदेश तुरंत वापस लेना चाहिए. और युवाओं से संवाद करना चाहिए. नेपाल में पीएम केपी शर्मा ओली की सरकार लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता और गठबंधन की अस्थिरता से जूझ रही है.
ओली की कम्युनिस्ट पार्टी (CPN-UML) और नेपाली कांग्रेस के गठबंधन में तनाव विशेष रूप से गृह मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण पदों के बंटवारे को लेकर असहमति ने असंतोष बढ़ाया है.
इसके अलावा नेपाल में पिछले कुछ दिनों से राजशाही समर्थकों और हिन्दू राष्ट्र का दर्जा बहाल करने की मांग को लेकर भी आंदोलन रहा है. नेपाल में आर्थिक नीतियों और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर विफलता ने जनता को वैकल्पिक व्यवस्था की मांग करने को मजबूर किया है.
दक्षिण एशिया में कोविड के बाद से सरकारों के खिलाफ विद्रोह बढ़ा
कोविड-19 महामारी के बाद भारत को छोड़कर दक्षिण एशिया जबरदस्त राजनीतिक संकट से गुजर रहा है. कई देशों में सामाजिक और राजनीतिक अशांति देखी गई. इसकी शुरुआत अफगानिस्तान से हुई. जहां 2021 में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान ने सत्ता पर कब्जा कर लिया. श्रीलंका में 2022 में आर्थिक संकट और सरकार की विफलता के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा. बांग्लादेश में 2024 में शेख हसीना की सरकार के खिलाफ छात्र आंदोलनों ने उग्र रूप लिया, जिसके कारण उनकी सरकार का पतन हुआ और वह देश छोड़कर भाग गईं
पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार को 2022 में सत्ता से हटाए जाने के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. यहां भी सरकार और सेना के खिलाफ इमरान खान के समर्थकों का हिंसक टकराव हुआ. इन घटनाओं ने क्षेत्र में आर्थिक संकट, बेरोजगारी और शासन की कमजोरियों को उजागर किया.
किन देशों में सबसे ज्यादा सोशल मीडिया बैन?
चीन में फेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पूरी तरह बैन हैं और यहां खुद के ऐप चलते हैं। नॉर्थ कोरिया में तो इंटरनेट आम जनता के लिए बंद है, केवल सरकारी कर्मचारियों को ही अनुमति है। वहीं ईरान में भी राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर फेसबुक, X, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर पाबंदी लगाई गई है।
भारत ने नेपाल बॉर्डर पर बढ़ाई सुरक्षा: रिपोर्ट्स
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ जेन ज़ी और युवाओं के बड़े प्रदर्शन के बीच भारत ने सीमा पर सुरक्षा बढ़ाई है। सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने बॉर्डर पर सिक्योरिटी व सर्विलांस के लिए अतिरिक्त बलों की तैनाती की है।
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