Baba Dhirendra Shastri: बिहार के गया में चल रहे विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले के दौरान इस बार माहौल और भी खास होने जा रहा है। कारण है, बागेश्वर धाम सरकार के नाम से चर्चित पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उर्फ बागेश्वर बाबा का आगमन। बता दें कि इससे पहले भी बाबा धीरेंद्र शास्त्री 2023 और 2024 में गयाजी पधार चुके हैं और इस बार वे लगातार तीसरी बार यहां पहुंच रहे हैं।
10 से 16 सितंबर तक रहेगा प्रवास
जानकारी के मुताबिक, पंडित धीरेंद्र शास्त्री 10 से 16 सितंबर 2025 तक बोधगया में प्रवास करेंगे। इस दौरान वे होटल प्रवास के बीच ही पितृ तर्पण, त्रिपिंडी श्राद्ध, पिंडदान और एकादश भागवत जैसे विशेष धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन करेंगे। बाबा का यह दौरा सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं होगा, बल्कि हजारों की संख्या में उनके अनुयायी भी उनके साथ बोधगया पहुंचेंगे और पितृपक्ष के पावन अवसर पर तर्पण एवं श्राद्ध की रस्मों में हिस्सा लेंगे।
बाबा निश्चित समय पर गया जी के विष्णुपद मंदिर और फल्गु नदी के तट पर स्थित पिंडवेदी भी जाएंगे। माना जाता है कि पिंडवेदी पिंडदान की सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण स्थली है।
तीर्थ पुरोहितों और श्रद्धालुओं में खासा उत्साह

बाबा के आगमन की तैयारियों को लेकर स्थानीय तीर्थ पुरोहितों और श्रद्धालुओं में खासा उत्साह है। इस बीच, गया के पारंपरिक तीर्थ पुरोहित गजाधर लाल कटारिया ने बताया कि बागेश्वर बाबा का अपने परिवार से गया जी से पुराना नाता रहा है। उन्होंने खुलासा किया कि उनके बही-खाते में यह दर्ज है कि बाबा बागेश्वर के दादा भगवान दास गर्ग उर्फ सेतुलाल गर्ग ने फसली संवत 1398 (अंग्रेजी वर्ष 1988) में यहां पिंडदान किया था। यह इस बात का प्रमाण है कि उनके वंशज पीढ़ियों से पितृ परंपरा का पालन करते आ रहे हैं।
गजाधर लाल कटारिया ने कहा कि, “सिद्ध पुरुषों का आगमन सदैव उत्साह और ऊर्जा लेकर आता है। बाबा बागेश्वर की वाणी और विचार न केवल देश में, बल्कि विदेशों तक पहुंच चुके हैं। उनका बोधगया आना भारत के लिए एक शुभ संकेत है।”
त्रिपिंडी श्राद्ध का है विशेष महत्व
गौरतलब है कि त्रिपिंडी श्राद्ध का विशेष महत्व है, जिसमें किसी व्यक्ति के पितृ, पितामह और प्रपितामह तीनों पीढ़ियों को एक साथ तर्पण दिया जाता है। माना जाता है कि इस श्राद्ध से समस्त पितृगण तृप्त होकर अपने वंश को आशीर्वाद देते हैं। वहीं, प्रवास के दौरान संपन्न होने वाला एकादश भागवत पाठ भी मोक्षदायक माना जाता है।
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