रविंद्र कुमार भारद्वाज,रायबरेली। सुप्रीम कोर्ट के बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों के लिए टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) अनिवार्य करने के फैसले के खिलाफ जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने कड़ा विरोध शुरू किया है। शिक्षकों का कहना है कि यह नियम अनुभवी शिक्षकों पर अन्यायपूर्ण दबाव डालता है। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से कानून में संशोधन की मांग को लेकर 11 सितंबर 2025 को रायबरेली के विकास भवन में विशाल प्रदर्शन होगा। प्रदर्शन के बाद जिलाधिकारी के जरिए प्रधानमंत्री और शिक्षा मंत्री को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
कम्पोजिट स्कूल में बैठक कर बनाई रणनीति
जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ ने चक अहमदपुर के कम्पोजिट स्कूल में बैठक कर रणनीति बनाई। जिलाध्यक्ष राघवेंद्र यादव ने कहा कि 50-55 साल की उम्र में शिक्षकों से टीईटी पास करने की मांग गलत है। कई शिक्षक शारीरिक और मानसिक चुनौतियों के बावजूद पूरी मेहनत से पढ़ा रहे हैं। नौकरी के 20-30 साल बाद दोबारा परीक्षा देना उनके लिए मुश्किल है। अगर वे फेल हुए या परीक्षा नहीं दी, तो नौकरी जाने का खतरा है।
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जिला संरक्षक समर बहादुर सिंह ने इसे खेल के बीच नियम बदलने जैसा बताया और कहा कि पुराने शिक्षकों को छूट मिलनी चाहिए। जिला महामंत्री सियाराम सोनकर ने मांग की कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से छूट दी जाए। जिला कोषाध्यक्ष शिवशरण सिंह ने चेतावनी दी कि अगर मांगें नहीं मानी गईं, तो देशभर के शिक्षक दिल्ली में धरना देंगे। 13 से 26 सितंबर तक सांसदों के जरिए भी मांग पत्र भेजा जाएगा।
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बैठक में हरिकेश यादव, साधना शर्मा, सुनीता सिंह, राकेश पटेल सहित कई शिक्षक मौजूद रहे। शिक्षक सोशल मीडिया पर भी अभियान चला रहे हैं। यह प्रदर्शन लाखों शिक्षकों की आवाज को सरकार तक पहुंचाने का प्रयास है।
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