अविनाश श्रीवास्तव/ सासाराम। शहर के न्यू स्टेडियम फजलगंज में अखिल भारतीय खेत मजदूर किसान सभा (AIKMKS) का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में किसानों मजदूरों और आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा की बात की गई। सम्मेलन में राष्ट्रीय संयोजक सुबोध मित्रा प्रांतीय सचिव अशोक बैठा समेत बड़ी संख्या में किसान और मजदूर उपस्थित हुए।
सूबोध मित्रा ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्र और राज्य सरकार पर जल जंगल और जमीन के मामलों में बेदखल करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आज किसानों और मजदूरों की जमीनों को बड़े उद्योगपतियों और कॉरपोरेट सेक्टर को दे दिया जा रहा है जबकि गरीबों को अपनी जमीन तक नहीं मिल रही है।

सरकार पर लगाया आरोप

सुबोध मित्रा ने आगे कहा किसान भाई आज मजदूर बनते जा रहे हैं उनकी जमीन कॉरपोरेट कंपनियों के हाथों में जा रही है। उद्योग लगाने के नाम पर जमीनों को उद्योगपतियों को मुफ्त में दी जा रही है। सरकार की योजनाओं में बिचौलियों का दबदबा है और खेतों में काम करने वाले मजदूरों के अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
मित्रा ने यह भी बताया कि सरकारी नीतियों के तहत आदिवासी समुदाय और ग्रामीण इलाकों के लोगों को उनके मूल अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। आज जंगलों पर सरकार ने कब्जा कर लिया है जल स्रोतों को अपने अधीन कर लिया है और ज़मीन को भी बड़े पूंजीपतियों को सौंप दिया जा रहा है।

आदिवासियों की जीवन रेखा पर संकट

सुबोध मित्रा ने यह भी कहा कि जल जंगल और जमीन तीनों आज खतरे में हैं। यह वही संसाधन हैं जिनसे भारत के आदिवासी समुदाय का जीवन जुड़ा हुआ है। अगर इन पर कब्जा किया जाएगा तो आदिवासियों का अस्तित्व संकट में आ जाएगा।

तत्काल कदम उठाने की मांग की

उन्होंने सरकार से इन मुद्दों पर तत्काल कदम उठाने की मांग की और कहा कि अगर सरकार ने इन अधिकारों को संरक्षित नहीं किया, तो किसान और मजदूर वर्ग सड़कों पर उतरकर संघर्ष करेंगे।

किसानों के अधिकारों का हनन

प्रांतीय सचिव अशोक बैठा ने भी इस सम्मेलन में अपने विचार रखे। उन्होंने कहा आज सरकार की नीतियां किसानों, मजदूरों और आदिवासियों के खिलाफ जा रही हैं। उद्योगपतियों को ज़मीन मुफ्त में दी जा रही है, जबकि किसान अपने खेतों से बेदखल हो रहे हैं। बिचौलियों के कारण योजना का लाभ सीधे उन लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा जिनके लिए ये योजनाएं बनाई जाती हैं।
बैठा ने यह भी कहा कि किसानों और मजदूरों के लिए यह एक गंभीर स्थिति है और अगर सरकार ने किसानों और मजदूरों की समस्याओं का समाधान नहीं किया तो आंदोलन और तेज हो सकता है।

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