पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. धान खरीदी केंद्र से लगभग 32.95 लाख का 1063.20 क्विंटल धान गबन करने के आरोप में पुलिस ने प्रभारी समिति प्रबंधक चंदनसिंह राजपूत के खिलाफ मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है। आज आरोपी को न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा। पूरा मामला देवभोग के धान उपार्जन केंद्र झाखरपारा का है।
देवभोग थाना प्रभारी फैजुल होदा शाह ने बताया कि प्राधिकृत अधिकारी शपदुलोचन जगत ने थाना देवभोग में लिखित शिकायत कर बताया था कि खरीदी वर्ष 2024-25 में झाखरपारा सहकारी समिति प्रभारी प्रबंधक चंदनसिंह राजपूत ने कुल 1063.20 क्विंटल धान का गबन कर शासन को 32,95,920 रुपए की आर्थिक क्षति पहुंचाई है। इसकी सूचना सहकारिता विभाग को दी गई थी। अधिकारी के निर्देश के बाद मामला दर्ज कराया गया।
पुलिस ने ने आरोपी के विरुद्ध शासकीय अमानत में खयानत और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। थाना प्रभारी ने बताया कि अपराध पंजीबद्ध करने के बाद प्रभारी समिति प्रबंधक को गिरफ्तार किया गया है। आगे और जांच की जाएगी। मामले में जो भी दोषी पाए जाएंगे उसे सह आरोपी बनाया जाएगा।


यहां पहले भी 60 लाख का हो चुका है गबन, आरोप में 6 लोग गए थे जेल
इसी तरह 2015 की खरीदी में लगभग 3 हजार क्विंटल धान की कमी आई थी। जांच में पता चला था कि प्रबंधक से लेकर ऑपरेटर और समिति पदाधिकारी बगैर धान लिए पहले खरीदी बताया, फिर भुगतान भी कर दिया गया। यह गड़बड़ी 60 लाख रुपए की हुई थी। मामले में झाखरपारा सहकारी समिति के 6 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी गबन के विभिन्न धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध कर जेल भेज दिया गया था। वर्तमान में भी इसी पैटर्न में गड़बड़ी को अंजाम दिया गया, पर बड़े जिम्मेदार चालाकी से प्रबंधक पर सारा ठीकरा फोड़ दिए।
दैनिक वेतन भोगियों को बड़ी जिम्मेदारी का गलत रिवाज
झाखरपारा सहकारी समिति के जिस प्रभारी प्रबंधक को आरोपी बनाया गया है वह महज दैनिक वेतन भोगी कर्मी है, जिसके हस्ताक्षर से करोड़ों की धान की खरीदी का जिम्मा था। ऐसे एक नहीं जिले के 20 से ज्यादा सहकारी समिति और 30 से ज्यादा खरीदी केंद्र का जिम्मा दैनिक वेतन भोगियों को दिया गया है। यह मिलीभगत भी हो सकती है।
मॉनिटरिंग पर भी उठे सवाल
लिखित शिकायत के मुताबिक मई माह में दर्शाए ऑनलाइन रिपोर्ट में धान की शेष मात्रा 2708.56 क्विंटल दर्शित था। माहभर बाद जून में दोबारा भौतिक सत्यापन किया गया तो खरीदी केंद्र में 1363.20 क्विंटल धान की मात्रा अंतर मिले। कहा गया कि पूछताछ पर आरोपी चंदनसिंह राजपूत ने कमी स्वीकारते हुए आंशिक रूप से 300 क्विंटल धान की भरपाई कर दिया, किंतु शेष 1063.20 क्विंटल धान (मूल्य लगभग 32,95,920 रुपए) की भरपाई नहीं की। बड़ा सवाल यह है कि इतनी मात्रा में धान की कमी अचानक आई, तब अन्य जिम्मेदारों को पता क्यों नहीं लगा, जबकि खरीदी से लेकर स्टेगिंग तक कई चरणों में मॉनिटरिंग की गई। ऐसे में अब मॉनिटरिंग पर भी सवाल उठना शुरू हो गया है।
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