Pitru Paksha 2025: पितृपक्ष का समय हिंदू धर्म में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए विशेष माना जाता है. मान्यता है कि इस दौरान किए गए तर्पण, श्राद्ध और दान से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और परिवार पर सुख-समृद्धि की कृपा बनी रहती है. धार्मिक ग्रंथों में पितृपक्ष में कुछ विशेष दान को सबसे पुण्यदायी बताया गया है. धार्मिक मान्यता यही है कि पितृपक्ष में किया गया हर छोटा-बड़ा दान न सिर्फ पूर्वजों को संतुष्ट करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी खुशहाल और संपन्न बनाए रखता है.

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Pitru Paksha 2025
Pitru Paksha 2025

अन्न और अन्न से जुड़ी सामग्री (Pitru Paksha 2025)

पितृपक्ष में अन्न का दान सर्वोच्च माना गया है. चावल, गेहूं, जौ, तिल और घी का दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में अन्न की कभी कमी नहीं होती.

कपड़ा और छाता

कपड़ा दान, विशेषकर सफेद वस्त्र का दान, पितरों की तृप्ति के लिए किया जाता है. छाता दान का भी महत्व है क्योंकि इसे पितरों के लिए आराम और छाया का प्रतीक माना गया है.

धातु और बर्तन (Pitru Paksha 2025)

पितृपक्ष में तांबे, कांसे या स्टील के बर्तनों का दान करना अत्यंत शुभ माना गया है. यह दान पितरों को दीर्घ संतोष प्रदान करता है और परिवार में लक्ष्मी का वास बनाए रखता है.

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अन्न-जल दान गाय, कुत्ते और कौओं को

श्राद्ध कर्म के बाद बचा हुआ अन्न और जल गाय, कुत्ते तथा कौओं को खिलाना भी पितरों तक अर्पण पहुंचाने का मार्ग माना गया है. इसे सबसे सीधा और पुण्यकारी कार्य बताया गया है.

दक्षिणा और जरूरतमंदों को सहायता (Pitru Paksha 2025)

श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन कराने के साथ दक्षिणा देना और जरूरतमंदों को वस्त्र, भोजन व धन की सहायता करना पितृपक्ष में सर्वोच्च पुण्यकारी कार्य माना गया है.

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