गोविंद पटेल, कुशीनगर. जनपद की सड़कें मौत बन चुकी हैं. हर दिन सैकड़ों वाहन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए भीड़-भाड़ वाले मार्गों पर फर्राटा भरते नजर आते हैं. ई-रिक्शा और ऑटो चालकों की मनमानी अब आम बात हो चुकी है. परमिट से अधिक सवारियां बैठाना, ओवरलोडिंग, नशे में गाड़ियां चलाना और हाईस्पीड में वाहन दौड़ना जनमानस के लिए आम चिंता बन चुका है. उसके बाद भी प्रशासन का सुस्त रवैया देखने को मिल रहा है. ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या प्रशासनिक अधिकारियों को किसी बड़े हादसे का इंतजार है?

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बता दें कि जिले में मोटरसाइकिल सवार बिना हेलमेट तीन-तीन चार-चार सवारियों को बैठाकर, ड्राइविंग लाइसेंस के बिना बेपरवाही से सड़कों पर वाहन दौड़ते नजर आते हैं. चारपहिया वाहन चालक सीट बेल्ट तक नहीं पहनते, जबकि कान पर मोबाइल लगाकर सड़क पर दौड़ना उनकी आदत बन गई है. सबसे बड़ी चिंता यह है कि जिम्मेदार विभाग यातायात पुलिस और उप संभागीय परिवहन विभाग सार्वजनिक दृष्टि से पूरी तरह लापता है. केवल औपचारिक रूप से वाहन चेकिंग की जाती है, फोटो खींचकर उच्च अधिकारियों को भेजकर जिम्मेदारी पूरी कर ली जाती है.

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उसके बाद फिर वही पुरानी स्थिति कायम रहती है. इसके चलते अब सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ हर दिन ऊपर की ओर बढ़ता जा रहा है. ऐसा लगता है मानो दुर्घटनाओं की बाढ़ आ गई हो. सवाल यह है कि क्या सरकार और प्रशासन इस भयावह समस्या पर गंभीरता से संज्ञान लेंगे या फिर आम लोग इसी तरह हादसों के शिकार होते रहेंगे?