रायपुर/ बिलासपुर. उत्तर बस्तर की चिंतावागु नदी पर पुल नहीं होने से दर्जनों गांव आज भी संपर्कविहीन हैं. इस गंभीर मामले पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट (Chhattisgarh High Court) ने संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को कड़े निर्देश दिए हैं. गुरुवार को चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा ( Chief Justice Ramesh Sinha) और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु (Justice Bibhu Datta Guru) की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान सरकार से कहा कि दस दिन के भीतर पुल निर्माण के वर्क आर्डर की जानकारी अदालत में पेश की जाए.


बच्चों को नदी पार कर जाना पड़ रहा स्कूल
दंतेवाड़ा और आसपास के इलाकों में स्थिति और भी चिंताजनक है. यहां बच्चों को टूटी पुलिया और उफनती नदी पार कर स्कूल पहुंचना पड़ रहा है. अदालत ने इस पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि बच्चों की जान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. अदालत ने इसे संवेदनशील मुद्दा मानते हुए स्वतः संज्ञान में लिया और राज्य सरकार से विस्तृत जवाब मांगा.
वच्चों की जान जोखिम में डालना अस्वीकार्य
अदालत ने स्पष्ट कहा कि बच्चों को नदी पार कर स्कूल जाने की मजबूरी बेहद खतरनाक है. यह बच्चों के जीवन से जुड़ा मामला है और इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती. कोर्ट ने कहा कि सरकार को तत्काल कदम उठाने होंगे ताकि बच्चों और ग्रामीणों को सुरक्षित आवागमन की सुविधा मिल सके.
राज्य सरकार ने दिया जवाब
राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल (Advocate general of Chhattisgarh) ने जानकारी दी कि पुल निर्माण का वर्क आर्डर जारी किया जा रहा है. जिला स्तरीय समिति के माध्यम से टेंडर प्रक्रिया पूरी की गई है. सरकार ने बड़े पुल के निर्माण का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है. तकनीकी आपत्तियों का समाधान कर संशोधित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) 20 अगस्त को गृह मंत्रालय को भेज दी गई है. पहले केंद्र ने 12 बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा था, जिसका समाधान कर दिया गया है.