गौरव जैन, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही. छत्तीसगढ़ के गौरेला ब्लॉक के आदिवासी बैगा बाहुल्य गांव बेंदरापानी में डायरिया का प्रकोप फैला हुआ है। आज डायरिया से पीड़ित बैगा आदिवासी पिता-पुत्री की मौत होने से इलाके में हड़कंप मच गया है। वहीं राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र विशेष संरक्षित बैगा जनजाति के 18 से ज्यादा लोग भी डायरिया से पीड़ित हैं, जिनका इलाज गौरेला स्वास्थ्य केंद्र में जारी है। बता दें कि यह जिला स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल के प्रभार में आता है। इसके बावजूद भी डायरिया से पीड़ित लोगों की मौत होना चिंता का विषय है।
गौरेला विकासखंड के बैगा बाहुल्य ग्राम पंचायत साल्हेघोरी के आश्रित गांव बेंदरापानी में डायरिया फैलने से लोगों की स्वास्थ्य व स्थिति गंभीर और चिंताजनक है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गौरेला में डायरिया के 18 से अधिक पीड़ित भर्ती हैं। गांव में अब तक दो लोगों की मौत हुई है। मृतकों में एक ही परिवार के 40 वर्षीय कलेश बैगा और उनकी 20 वर्षीय बेटी मंगली बाई शामिल हैं।
परिजनों के मुताबिक, दोनों को उल्टी और दस्त की शिकायत थी। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने मौत का कारण सीने में दर्द और अन्य कारण बताया है। मृतक के परिजनों का कहना है कि सही समय में मरीजों को इलाज नहीं मिलने के कारण स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से पिता और बेटी की मौत हुई है। आदिवासी छात्रावासों और आश्रम शालाओं के छात्र भी डायरिया की चपेट में आ रहे हैं।


पहले से ही क्रोनिक बीमारी से ग्रसित थे दोनों मृतक : स्वास्थ्य अधिकारी
इस मामले में जिला स्वास्थ्य अधिकारी रामेश्वर शर्मा ने बताया कि जिन पिता-बेटी की मौत हुई वे सभी दूषित पानी पीने के कारण डायरिया से तो पीड़ित थे ही, लेकिन इन्होंने इस दौरान जहरीली जंगली मशरूम खाया, जिसके बाद इनकी हालत और भी गंभीर हुई और दोनों की मौत हो गई। जिन लोगों की मौत हुई वो पहले से ही क्रोनिक बीमारी से ग्रसित थे।
घर-घर जाकर जांच कर रही टीम, गांव में मेडिकल कैंप भी लगाए
जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की 10 से अधिक टीमें गांव में घर-घर जाकर मरीजों की जांच कर रही है। गांव में मेडिकल कैंप लगाए गए हैं। स्वच्छ पेयजल और साफ-सफाई के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें