पटना। बिहार की राजधानी में एक बार फिर नगर निकायों के अधिकारों को लेकर बवाल मचा है। पटना नगर निगम की मेयर सीता साहू शनिवार को गांधी मैदान स्थित गांधी मूर्ति के पास धरने पर बैठ गईं। उनके साथ राज्य भर के अन्य नगर निकायों के मेयर, मुख्य पार्षद, वार्ड पार्षद और जिला परिषद सदस्य भी आंदोलन में शामिल हुए। यह धरना नगर निकाय महासंघ के बैनर तले आयोजित किया गया, जिसमें राज्य सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने और अधिकारों में कटौती करने का आरोप लगाया गया।

जनता करारा जवाब देगी

मेयर सीता साहू ने विभागीय मंत्री जीवेश मिश्रा पर सीधे-सीधे तानाशाही का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार नगर निकायों के काम में लगातार हस्तक्षेप कर रही है और जनप्रतिनिधियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यही रवैया जारी रहा तो आगामी विधानसभा चुनाव में इसका करारा जवाब जनता देगी।

मुख्यमंत्री की तरह हमें भी अधिकार चाहिए

धरना स्थल पर मौजूद वार्ड पार्षद सतीश कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने कैबिनेट का चयन करते हैं, ठीक उसी तरह मेयर और मुख्य पार्षद को भी सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों के चयन का पूरा अधिकार होना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि नगर निकायों में गुप्त मतदान से समिति का गठन होगा तो क्या मुख्यमंत्री भी अपने कैबिनेट का चयन वोटिंग से कराएंगे?

नए नियमों के खिलाफ फूटा विरोध

दरअसल नगर विकास एवं आवास विभाग ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है, जिसके तहत पटना नगर निगम समेत राज्य के सभी नगर निकायों में सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों का चयन गुप्त मतदान के जरिए कराया जाएगा। इस प्रक्रिया की निगरानी संबंधित जिलाधिकारी करेंगे। विभाग का कहना है कि यह कदम पारदर्शिता बढ़ाने के लिए है लेकिन जनप्रतिनिधि इसे लोकतांत्रिक प्रणाली पर सीधा हमला मान रहे हैं।

जनप्रतिनिधियों के अधिकारों में कटौती

नगर निकाय महासंघ का कहना है कि यह आदेश चुने हुए जनप्रतिनिधियों के अधिकारों में कटौती है और इससे कार्यपालिका के ऊपर अफसरशाही का नियंत्रण बढ़ेगा। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने आदेश वापस नहीं लिया तो आंदोलन और तेज होगा।