Sushila Karki Nepal First Female Prime Minister: नेपाल की राजनीति में ऐतिहासिक बदलाव (Nepal Political Crisis 2025) आया है. देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रहीं सुशीला कार्की (Sushila Karki) ने अब नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री (First Female Prime Minister) के रूप में शपथ ले ली है. इसी के साथ राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने नवनियुक्त प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की सिफारिश पर प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया और 21 मार्च 2026 को नए संसदीय चुनाव की तारीख तय कर दी. प्रधानमंत्री सुशीला का यह फैसला बेहद महत्वपूर्ण बताया जा रहा है. यह दिखाता है कि पीएम कार्की सत्ता में जबरन नहीं बैठे रहना चाहतीं, जैसा कि बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं.
बांग्लादेश की सत्ता में कुंडली मारकर बैठे यूनुस
पिछले एक साल से मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश के वरिष्ठ सलाहकार बनकर बैठे हैं और अभी भी चुनाव की कोई सटीक तारीख नहीं दी है. उनके समर्थन वाले दल भी अब चुनाव की मांग को लेकर नाराज दिख रहे हैं. शुक्रवार को काठमांडू के शीतल निवास में हुए शपथ ग्रहण समारोह में 73 वर्षीय पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की ने नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली. वह अंतरिम सरकार का नेतृत्व करेंगी और छह महीने के भीतर चुनाव कराने की जिम्मेदारी संभालेंगी. यह बदलाव ऐसे समय आया जब भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन को लेकर देशभर में गुस्से की लहर थी.
‘Gen-Z’ ने उखाड़ फेंकी भ्रष्ट सरकार
खासकर युवाओं ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया, जिसके दबाव में मंगलवार को के पी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा. कार्की के शपथ लेते ही काठमांडू की सड़कों पर ‘Gen-Z’ (1997 से 2012 के बीच जन्मी पीढ़ी) ने जश्न मनाया. राष्ट्रपति कार्यालय के बाहर जुटे हजारों युवाओं ने पटाखे फोड़े और नारे लगाए. समारोह में नेपाल के प्रधान न्यायाधीश, शीर्ष अधिकारी, सुरक्षा प्रमुख और कई राजनयिक मौजूद थे. पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई भी समारोह में पहुंचे, लेकिन दिलचस्प बात यह रही कि वह अकेले पूर्व प्रधानमंत्री थे जिन्होंने इस मौके पर शिरकत की. नेपाल में इस बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के साथ अनिश्चितता की लंबी खींचतान पर फिलहाल विराम लग गया है. अब पूरी निगाहें इस बात पर हैं कि कार्की की अंतरिम सरकार चुनाव तक देश को कितनी स्थिरता दे पाती है.
BHU से की है पढ़ाई
लगभग 50 साल पहले बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से राजनीति विज्ञान में पढ़ाई करने वाली सुशीला कार्की ने शायद ही सोचा होगा कि एक दिन वह अपने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनेंगी. 73 वर्षीय कार्की ने काठमांडू स्थित शीतल निवास में नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल और शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ परामर्श के बाद उन्हें अंतरिम सरकार का नेतृत्व सौंपा. इस बैठक में ‘जेन-जेड’ युवाओं के प्रतिनिधि भी मौजूद थे, जिनके लिए यह पल एक बड़े सपने के सच होने जैसा था.
न्यायपालिका से सियासत तक का सफर
सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को विराटनगर के एक साधारण किसान परिवार में हुआ. सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी कार्की ने संघर्षों के बीच पढ़ाई पूरी की. उन्होंने 1971 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से स्नातक, 1975 में बीएचयू से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर और 1978 में कानून की डिग्री हासिल की. 1979 में वकालत शुरू करने के बाद उन्होंने न्यायिक सेवा में तीन दशक से भी अधिक का सफर तय किया. वह जुलाई 2016 में नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं और लगभग 11 महीने तक इस पद पर रहीं.
‘जीरो टॉलरेंस’ वाली जज
कार्की की छवि एक साहसी और ईमानदार न्यायाधीश की रही है. वरिष्ठ अधिवक्ता दिनेश त्रिपाठी कहते हैं, ‘उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई और हमेशा निष्पक्ष न्याय की वकालत की.’ उन पर कभी राजनीतिक दबाव भी बनाए गए. तत्कालीन प्रधानमंत्री शेरबहादुर देउबा सरकार ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया था, लेकिन तीखी आलोचना के बाद इसे वापस लेना पड़ा.
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