कुंदन कुमार/पटना। बिहार की राजधानी पटना में शनिवार को नगर निकायों के जनप्रतिनिधियों ने सरकार के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया। नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा जारी नए आदेश के खिलाफ पटना नगर निगम की महापौर (मेयर) सीता साहू के नेतृत्व में इनकम टैक्स चौराहा से लेकर गांधी मैदान तक जबरदस्त प्रदर्शन हुआ। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने नगर विकास मंत्री का पुतला दहन कर गहरा आक्रोश व्यक्त किया। धरने पर बैठीं मेयर सीता साहू ने सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने का गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि नगर निकायों के संवैधानिक अधिकारों को लगातार कुचला जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम पहले भी अपने अधिकारों के लिए कोर्ट तक गए थे और जीते भी थे अब फिर वही स्थिति पैदा की जा रही है। अगर यह रवैया जारी रहा तो जनता आने वाले विधानसभा चुनाव में इसका करारा जवाब देगी।

अफसरशाही के खिलाफ बगावत

नगर निकाय महासंघ के बैनर तले आयोजित इस धरने में राज्य भर के मेयर, मुख्य पार्षद, वार्ड पार्षद और जिला परिषद सदस्यों ने भाग लिया। सभी ने एक सुर में कहा कि सरकार द्वारा जारी आदेश के तहत सशक्त स्थायी समिति के गठन की प्रक्रिया को गुप्त मतदान से कराने और उसकी निगरानी जिलाधिकारी से कराने का निर्णय सीधे तौर पर जनप्रतिनिधियों के अधिकारों में कटौती है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह कदम अफसरशाही को बढ़ावा देगा और लोकतांत्रिक प्रणाली पर सीधा हमला है। उनका कहना है कि चुने गए जनप्रतिनिधियों को अधिकारों से वंचित कर मूकदर्शक बनाया जा रहा है जो संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन है।

मुख्यमंत्री जैसे अधिकार की मांग

धरना स्थल पर मौजूद वार्ड पार्षद सतीश कुमार ने कहा कि जब मुख्यमंत्री को अपने कैबिनेट का चयन करने का अधिकार है, तो मेयर और मुख्य पार्षद को भी स्थायी समिति के सदस्यों का चयन करने का पूरा अधिकार होना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि निकायों में गुप्त मतदान से समिति बनेगी तो क्या मुख्यमंत्री भी अपने मंत्रिमंडल का गठन गुप्त मतदान से कराएंगे?

सरकार को चेतावनी

मेयर सीता साहू ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने नए आदेश को जल्द वापस नहीं लिया, तो आंदोलन और उग्र रूप लेगा। उन्होंने कहा कि सरकार लगातार नगर निगम और परिषदों की शक्तियों में कटौती कर रही है और जनप्रतिनिधियों को मात्र नाम का बना दिया गया है।

जनप्रतिनिधियों की एकजुटता

प्रदर्शन में शामिल सभी जनप्रतिनिधियों ने एक स्वर में कहा कि वे किसी भी कीमत पर अपने अधिकारों की कटौती बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने साफ कर दिया कि अगर सरकार ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को दरकिनार करने की कोशिश की, तो सड़कों पर उतरकर जवाब दिया जाएगा।