रोहित कश्यप,मुंगेली। छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में पुलिस परिवार की ओर से आयोजित श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ कथा इन दिनों जिले का एक प्रेरणादायक केंद्र बना हुआ है। यह आयोजन 8 सितंबर से शुरू हुआ है, जो 15 सितंबर तक चलेगा। इस कथा का आयोजन मुंगेली पुलिस परिवार ने जिले के शहीद जवानों एवं स्वर्गीय पुलिस कर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के उद्देश्य से किया गया है। कार्यक्रम में तीन माह पूर्व जघन्य हत्या की शिकार हुई सात वर्षीय मासूम ‘लाली’ को भी श्रद्धांजलि दी गई और उनके परिजनों को आमंत्रित कर मान-सम्मान दिया गया।

केंद्रीय मंत्री, डिप्टी सीएम व विधायक हुए शामिल
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में यह पहला ऐसा आयोजन है, जिसमें किसी पुलिस परिवार ने इस स्तर पर श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन शहीदों की स्मृति में किया है, जिसमें जनप्रतिनिधियों और पुलिस अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी रही। इस आयोजन में अब तक केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू, उप मुख्यमंत्री अरुण साव, वरिष्ठ विधायक पन्नूलाल मोहले, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं बिल्हा विधायक धरमलाल कौशिक, मुंगेली नगर पालिका अध्यक्ष रोहित शुक्ला एवं पुलिस अधीक्षक भोजराम पटेल, जिला सीईओ प्रभाकर पांडेय सहित कई वरिष्ठ अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि शामिल हो चुके हैं, जिन्होंने वीर जवानों की स्मृति में पुष्पांजलि अर्पित की और श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण किया। इसके अलावा कई नेताओं ने ट्वीट् कर कार्यक्रम की सराहना भी की है।


भजन पर झूमे एसपी भोजराम पटेल
कार्यक्रम का सबसे प्रेरणादायक क्षण वह रहा, जब एसपी भोजराम पटेल भक्ति गीत “बांके बिहारी की देख छटा मेरो मन है गयो लटा पटा” पर श्रद्धालुओं के साथ झूम उठे। माथे पर चंदन, पारंपरिक वेशभूषा और भाव-विभोर चेहरा, यह दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा। जहां कुछ लोगों ने वर्दीधारी अधिकारी के इस भावपूर्ण स्वरूप पर सवाल उठाए, वहीं आम जनता और धार्मिक वर्ग ने इसे “संवेदनशील और आध्यात्मिक प्रशासन का प्रतीक” बताया।
देखें वीडियो –
शास्त्रों में आनंद की परिभाषा
शास्त्रों के जानकार एक पंडित ने कहा कि सच्चा आनंद वहीं है, जब व्यक्ति अपने ‘कद’ और ‘पद’ को भूल जाए। जब एक अभिनेता अभिनय करते समय यह भूल जाए कि वह अभिनय कर रहा है, तब वह कला में विलीन हो जाता है। स्वयं भगवान श्रीराम, धरती पर अवतरण के बाद अपनी दैवीय शक्ति को भूल गए और पूरी मानवता के धर्म का अनुसरण किया। श्रीकृष्ण, शेषनाग की फन पर नृत्य करते हुए उस आनंद में ऐसे लीन हो गए कि उन्हें यह भी स्मरण नहीं रहा कि वे किस अवस्था में और कहां हैं। मुंगेली की कथा में एसपी भक्तिभाव में लीन होकर भजनों पर झूमने लगे। जब एसपी भोजराम पटेल यह भूल गए कि वे वर्दीधारी अधिकारी हैं, वे पुलिस कप्तान हैं। उनका भक्तिभाव न किसी औपचारिकता का प्रतीक था, न दिखावे का, वह केवल एक आत्मा का अपनी संस्कृति में विलीन होना था। यह वही परम आनंद है, जो न पद जानता है, न प्रतिष्ठा, बस आत्मा को भक्ति और समर्पण से जोड़ता है।
मासूम लाली को भी दी गई श्रद्धांजलि
तीन माह पूर्व जिले की सात वर्षीय मासूम लाली की हत्या ने पूरे समाज को झकझोर दिया था। इस कथा के माध्यम से लाली को भी श्रद्धांजलि अर्पित की गई और उनके परिजनों आमंत्रित कर उन्हें सांत्वना एवं सम्मान दिया गया। यह पहल मानवता और न्याय के प्रति पुलिस की प्रतिबद्धता का उदाहरण बनी। लाली के परिजनों ने पुलिस परिवार और पुलिस अधीक्षक के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “हमारी बेटी को इस तरह श्रद्धांजलि देना हमारे लिए किसी सपने से कम नहीं है। हम इतने साधनहीन हैं कि कभी यह आयोजन नहीं कर सकते थे। पुलिस विभाग और एसपी साहब ने जो किया, उसे हम कभी नहीं भूलेंगे।”
कथा से मिलती है भक्ति और जीवन मूल्य की सीख
व्यासपीठ पर विराजमान महराज उमाकांत मिश्र एवं श्री सूरज मिश्र ने कथा में श्रीकृष्ण लीला एवं गोवर्धन पूजा का मार्मिक वर्णन किया, जिसे सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। कथा में सकाम और निष्काम कर्म, भक्ति, मर्यादा, निर्गुण-सगुण तत्व ज्ञान जैसे विषयों पर प्रकाश डाला जा रहा है। कथावाचक ने कहा कि श्रीमद भागवत कथा से भक्ति और जीवन मूल्य की सीख मिलती है।
पुलिस परिवार की ओर से भावनात्मक संदेश
मुंगेली पुलिस परिवार के सदस्यों का कहना है कि “यह आयोजन सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि हमारी परंपरा और पुलिस परिवार के प्रति सम्मान की अभिव्यक्ति है। हम शहीद वीरों की स्मृति को जीवित रखने के साथ उनके परिजनों के साथ हमेशा खड़े रहेंगे। मुंगेली में जारी श्रीमद्भागवत कथा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह संवेदना, श्रद्धा, सेवा और सुशासन का जीवंत प्रतीक बन चुकी है।जब शासन, समाज और संस्कृति एक साथ कदम बढ़ाते हैं, तब ही ‘रामराज्य’ का मार्ग बनता है।
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें